समीक्षा बैठक समझ से परे, 15 साल ने जनता से सिर्फ विफलता देखी

बिलासपुर नगर पालिक निगम के कार्यों की समीक्षा पर कांग्रेस प्रवक्ता शैलेष पांडेय ने एक बार फिर नगर-निगम पर शहर की पेयजल और पानी निकासी की योजना में फेल होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि बीते 15 वर्ष में शहर की जनता ने कु-प्रबंधन और विफलता देखी है।

पांडेय ने कहा कि मंत्री अमर अग्रवाल प्लान ए, प्लान बी और आपदा प्लान बनाते रहे हैं। सबसे पहले पेयजल व्यवस्था के लिए भूमिगत जल का दोहन अविवेक पूर्ण तरीके से कराया गया। प्लान बी में उन्होंने पीएचई को करोड़ों की लागत की जल आवर्धन योजना सौंपी।

इस योजना का लोकार्पण पिछले विधानसभा चुनाव वर्ष 2013 में प्रदेश की मुखिया से कराया जा चुका है। अब आपातकालीन प्लान यह है कि शहर को पेयजल खूंटाघाट डेम से मिलेगा।

जल आवर्धन योजना का लोकार्पण वर्ष 2013 में हो चुका है किन्तु आज तक निगम इसे पीएचई से हैंडओवर लेने में डरता है। पांडेय ने सवाल किया कि यदि निगम की योजनाएं सफल हैं तो कल की समीक्षा बैठक में निगम के अभियंताओं को फटकारने की क्या जरूरत पड़ गई। मंत्री ने शहर के 75 प्रतिशत कार्यो के पूर्ण होने की घोषणा की । शेष के लिए डेड लाइन बता दी।

लालखदान का ओवरब्रिज सात साल में पूरा नहीं हुआ तो अक्टूबर तक कैसे बन जाएगा। अंतर्राष्ट्रीय स्टेडियम बहतराई यदि सुविधा पूर्ण है तो 13 करोड़ रुपये की लागत से एक अन्य स्टेडियम की क्या जरूरत है। बहतराई के एस्ट्रोटर्फ के टेंडर इसे प्रैक्टिस के लिए कहीं नही लिखा है और कहते हैं कि यह टर्फ सिर्फ प्रशिक्षण के लिए है। शहर की पेयजल व्यवस्था नागरिकों को पीने का पानी नहीं बीमारी परोसने वाली पाइप लाइन बन गई है। करोड़ों रुपए की पाइप क्रय करने के बाद भी अब शहर के भीतर 663 किमी पाईप लाइन बदली जाएगी और 561 मोटर पंप और खरीदे जाएंगे। इससे यह पता चलता है कि नगर निगम में कुप्रबंधन का बोलबाला है। शैलेष पांडे ने कहा मंत्री ने 2003 में उन्होंने एक पत्रकार वार्ता में कहा था कि बिलासपुर शहर का आकार एक कटोरे की शक्ल का है और यहां पानी निकासी सहज नहीं है। जब उन्हें यह पता था तो शहर की पानी निकासी और सीवरेज के लिए उन्होंने शहर को गड्ढे में ढकेलने के पूर्व योजनाओं का उचित मूल्याकंन क्यों नहीं किया?

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