तखतपुर/टेकचंद कारडा/। पांच किलो मीटर दूर ग्राम जरहागांव में आदिवासी दंपती के जीवन की डोर दो घंटे के अंतराल में टूट गई। जरहागांव बाजारपारा में रहने साहूकार ध्रुव उम्र 86 वर्ष का विवाह जरहागांव ही निवासी स्व. भुखे की बेटी लीला बाई ध्रुव उम्र 68 वर्ष से लगभग 55 वर्ष पूर्व हुआ था। जीवन की इस संघर्ष में साहूकार ध्रुव का 6 बच्चों को जन्म दिया था। दो बेटों की मृत्यु का दंश झेल चुके इस आदिवासी परिवार में चार बेटे हैं। मेहनत कर अपना जीवन-यापन करने वाले इस आदिवासी परिवार के जीवन में बहुत उतार चढाव आए। सब की तरह उन्होंने भी विवाह की अग्नि को साक्षी मानकर सात फेरे लेते वक्त साथ जीने और मरने का जो संकल्प लिया था। यह संकल्प हकीकत में पूरा हुआ।
यह दंपती जीवन के हर उतार चढाव से गुजरा और एक दूसरे को साथ सुख-दुख को बांटते रहे। पिछले कुछ समय से साहूकार ध्रुव का स्वास्थ्य ठीक नहीं चल रहा था। पत्नी के बार बार कहने पर पति अपना इलाज करा भी रहा था। पर सोमवार की सुबह लगभग 10 बजे साहूकार ध्रुव की सांसें थम गईं। गांव में ही उसका ससुराल है। उसके साले फुल सिंह मरकाम को साहूकार के निधन की जानकारी दी गई। जीजा की मृत्यु का समाचार सुनने के बाद फूल सिंह अपनी बहन को सांत्वना देने पहुंचा। मृतक के चारों बच्चे बरतवा, मुन्ना, भुरूवा और सुरित ध्रुव सभी पिता की अंत्येष्ठि की तैयारी में लगे हुए थे। महिलाएं घर में विलाप कर रही थीं। इस बीच साहूकार की पत्नी लीला बाई अपना सुधबुध खोए रोये जा रही थी। वह बार-बार कह रही थी कि तुम मुझे किसके लिए छोडकर चले गए। अब मैं इस संसार में कैसे रहूंगी। घर के लोग लीला को यह समझा रहे थे कि यह संसार का सत्य है जहां सभी एक दूसरे को छोडकर जाते हैं। इससे पहले कि साहूकार ध्रुव की घर से अर्थी उठती, लीला की भी सांसें टूट गई और उसकी जीवन लीला समाप्त हो गई। और पति के अंतिम दर्शन करने के लिए उसके परिजन उसे बुलाने गए तब देखा कि बदहवास लीला की भी ईहलीला भी समाप्त हो गई थी। वह अपने पति साहुकार के साथ ही अंतिम यात्रा पर निकल गई। गांव में आदिवासी ध्रुव दंपती की एक साथ दो घंटे के अंतराल में मौत का समाचार पूरे गांव में आग की तरह फैल गई। दोंने की अर्थी एक साथ उठी और पूरा गांव उन्हें अंतिम विदाई देने के लिए उमड़ गया।