रायपुर। छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में सुरक्षाबलों ने एक और निर्णायक कार्रवाई को अंजाम दिया है। बीजापुर जिले के इंद्रावती नेशनल पार्क इलाके में मंगलवार सुबह शुरू हुई मुठभेड़ में छह नक्सलियों को मार गिराया गया, जबकि एक घायल नक्सली को पकड़ लिया गया। यह घटना नक्सली संगठन की कमजोर होती जड़ों का स्पष्ट संकेत देती है, जहां अब वे सीमित क्षेत्रों तक सिमट चुके हैं।
मुठभेड़ की शुरुआत: गुप्त खुफिया जानकारी पर सटीक हमला
सुबह करीब दस बजे बीजापुर और दंतेवाड़ा के डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (डीआरजी) की संयुक्त टीम ने विशेष टास्क फोर्स (एसटीएफ) के साथ मिलकर अभियान शुरू किया। खुफिया इनपुट्स के आधार पर नक्सलियों की मौजूदगी की पुष्टि होने पर जंगल में घुसपैठ की गई। जैसे ही सुरक्षाबल करीब पहुंचे, नक्सली सेंट्री ने गोलीबारी शुरू कर दी, जिसके बाद शाम पांच बजकर तीस मिनट तक चली इस लड़ाई ने पूरे इलाके को हिला दिया। टैरालागुड और अन्नाराम के जंगलों में फैले इंद्रावती नेशनल पार्क के इस हिस्से को नक्सली लंबे समय से अपना गढ़ मानते रहे हैं।
हथियारों का भंडाफोड़: सुरक्षाबलों को मिली भारी सफलता
मुठभेड़ स्थल से सुरक्षाबलों ने भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद बरामद किया। इनमें आईएनएसएएस राइफल, स्टेन गन, .303 राइफल, अन्य छोटे हथियार, विस्फोटक सामग्री, डेटोनेटर और नक्सली दस्तावेज शामिल हैं। ये सामान अभी फोरेंसिक जांच के दायरे में हैं। बीजापुर के एसपी जितेंद्र यादव ने बताया कि यह कार्रवाई खुफिया आधारित ऑपरेशनों की सटीकता को दर्शाती है, जो नक्सलियों के पूर्व गढ़ों में अब सुरक्षाबलों का दबदबा स्थापित कर रही है।
नेताओं, अफसरों का बयान: नक्सलवाद के अंत की ओर बढ़ता कदम
बस्तर रेंज के आईजी पी. सुंदरराज ने इसे “निर्णायक और महत्वपूर्ण सफलता” करार दिया। उन्होंने कहा कि नक्सली संगठन अब नेतृत्वहीन, दिशाहीन और हताश हो चुका है, जो अबुजमाड़ के सीमित जंगलों तक सिमट गया है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने सुरक्षाबलों की सराहना करते हुए कहा, “लाल आतंक के खिलाफ मुहिम जारी है। नक्सलवाद का अंत नजदीक है। छह नक्सलियों का ढेर होना लाल उन्मूलन की दिशा में बड़ा कदम है। मैं हमारे वीर जवानों को सलाम करता हूं।” गृह मंत्री विजय शर्मा ने भी इसे नक्सल-मुक्त बस्तर की ओर एक ठोस कदम बताया।
बस्तर में नक्सलियों की गिरती पकड़
इस साल बस्तर मंडल (सात जिलों सहित) में अब तक 230 से अधिक नक्सली मारे जा चुके हैं, जबकि पूरे छत्तीसगढ़ में यह संख्या 259 तक पहुंच गई है। जनवरी से अब तक 400 से ज्यादा कैडर सरेंडर कर चुके हैं, जो राज्य सरकार की 2025 सरेंडर एंड रिहैबिलिटेशन स्कीम का नतीजा है। इस योजना में कौशल प्रशिक्षण, आवास और 2.5 लाख रुपये तक की सहायता दी जा रही है। फरवरी की बीजापुर मुठभेड़ में 31 नक्सलियों के मारे जाने से उनका कमांड स्ट्रक्चर चरमरा गया था। हाल ही में 5-6 नवंबर को बीजापुर-तेलंगाना सीमा पर हुई कार्रवाई में तीन नक्सली ढेर हुए थे। इंद्रावती पार्क में इस साल 50 से ज्यादा नक्सली मारे जा चुके हैं। अबुजमाड़ जैसे असurveyed क्षेत्रों में भी ड्रोन निगरानी और इंटर-स्टेट इंटेलिजेंस शेयरिंग से नक्सलियों की सांसें फूल रही हैं। विकास परियोजनाएं जैसे सड़कें और मोबाइल हेल्थ यूनिट्स भी आदिवासी इलाकों को मुख्यधारा से जोड़ रही हैं।













