छत्तीसगढ़ के शासकीय औद्योगिक प्रशिक्षण में अगस्त 2010 को 723 पदों पर प्रशिक्षण अधिकारियों की भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया गया था। इसके बाद 640 अधिकारियों की सीधी भर्ती कर ली गई। इस भर्ती के खिलाफ पुष्पेन्ज्र सिंह एवं मनोज कुमार तिवारी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।

याचिका में कहा गया कि इस भर्ती में कूटरचना कर बड़े पैमाने पर घपला किया गया और अनियमितता बरती गई है। इस भर्ती के साक्षात्कार के अंकों में बड़े पैमाने पर हेरफेर की गई, अपात्रों को पात्र किया गया, आवेदन पत्र जमा हनोन की तिथि समाप्त होने के दो साल बाद तक आवेदन लिए गए, डिमांड ड्राफ्ट की राशि नहीं भुनाई गई, जाति प्रमाण पत्र के बिना ज्वाइनिंग दी गई,जैसी अनेक गड़बड़ी की गई है।

यह कहा गया है कि याचिकाकर्ताओं ने सन् 2013 में लोक आयोग में इसे लेकर प्रकरण दर्ज कराया था किन्तु पांच वर्ष बीत जानेके बाद भी अवैध तरीके से नियुक्त कर्मचारियों और अधिकारियों की सेवा समाप्त नहीं की गई है। इस समय मामले की एसआईटी जांच चल रही है। इसके बावजूद अवैधानिक तरीके से इन प्रशिक्षण संस्थानों में इन्हें सीटीआई प्रशिक्षण कराया जा रहा है। लोकायुक्त की रोक के बावजूद परीवीक्षा अवधि समाप्त कर इन्हें पदोन्नति प्रदान कर दी गई है। इसके बाद बिलासपुर हाईकोर्ट ने लोकायुक्त, राज्य शासन तथा 517 उत्तरवादियों को नोटिस जारी किया है। इनमें चयन करने में शामिल अधिकारी भी शामिल हैं।

याचिकाकर्ताओं की ओर से पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के अधिवक्ता मनोज कक्कड़, हाईकोर्ट बिलासपुर की रंजना जायसवाल, आर के जायसवल व लक्ष्मी टोण्डे पैरवी कर रही हैं।

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