सरकारी आयोजनों में निःशक्तों से निर्मित स्मृति चिन्ह ही प्रदान किये जायेंगे, हर कार्यालय होगा उनकी पहुंच में-डॉ. अलंग
बिलासपुर। विशेष आवश्यकता वाले प्रदेश भर के 1200 बच्चे अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने के लिए आज से दो दिन तक शहर में हैं। उनके लिये 6 एवं 7 फरवरी को खेल परिसर बहतराई में विभिन्न क्रीड़ा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है। आयोजन में1200 प्रतिभागी हिस्सा ले रहे हैं।
आयोजन में अस्थिबाधितों के लिए ट्राईसायकल दौड़, बैसाखी दौड़, श्रवण बाधितों के लिए जलेबी दौड़, दृष्टिहीनों के लिए मटका फोड़, मानसिक निःशक्तों के लिए फुटबाल, सुलेख (देवनागरी लिपि), रंगोली, मेंहंदी, समूह नृत्य आदि का आयोजन किया जा रहा है।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि रश्मि सिंह ने कहा कि निःशक्त बच्चों पर विशेष ध्यान दिया जाये तो वे सभी कार्य करने में सक्षम हो जाते हैं। हमें निःशक्त बच्चों से संवेदनशीलता के साथ व्यवहार करना चाहिए।
कार्यक्रम में कलेक्टर डॉ.संजय अलंग ने कहा कि हम सभी को एक ऐसा निःशक्त मित्र जरूर बनाना चाहिये, जिसके साथ हम घूमें, समय बितायें और उनके घर पर मिलने जायें। हमारी कोशिश है कि जिले के सभी शासकीय भवन दिव्यांगों के पहुंच में हो, इसके लिये एक्सेबिलिटी ऑडिट कराया जायेगा। जिले की वेबसाइट सभी प्रकार के निःशक्तजनों के अनुकूल बना दी गई है।
विगत वर्षों तक निःशक्तजन कानून में सिर्फ अस्थिबाधित और श्रवणबाधित ही शामिल थे लेकिन अब 21 प्रकार के निःशक्तजनों को शामिल किया गया है। इनमें थैलीसिमिया और सीवियर सिकलसेल भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि समाज और शासन को निःशक्तजनों के लिये विशेष स्कूल न बनाकर सामान्य स्कूलों में भी बच्चों का समावेशन होना चाहिये। निःशक्त बच्चों का समाज, शिक्षा और नौकरी में समावेशन आवश्यक है। जिले के शासकीय कार्यक्रमों में निःशक्त बच्चों द्वारा तैयारी किये गये स्मृति चिन्ह ही प्रदान किये जायेंगे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे महापौर किशोर राय ने कहा कि जब हम समग्र विकास की बात करते हैं तब निःशक्त बच्चों की सहभागिता भी आवश्यक है। हमारा समाज इन बच्चों के बिना आगे नहीं बढ़ सकता। कार्यक्रम में समाज कल्याण विभाग के संयुक्त संचालक एच.खलको, राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा मिशन के परियोजना सहायक मनोज राय, सहायक संचालक अश्विनी कुमार व परियोजना समन्वयक ओम पाण्डेय भी उपस्थित थे।