बिलासपुर।  पति द्वारा राखी के लिए मायके न छोड़ने से नाराज नवविवाहिता कामिनी ने 14 अगस्त 2001 को आत्महत्या कर ली। उसने सास-ससुर पर प्रताड़ना और दहेज मांगने का आरोप लगाया। पुलिस ने सास शोभा राव और ससुर सुधाकर राव पर दहेज हत्या का मामला दर्ज किया। 2002 में उन्हें सजा सुनाई गई। हाई कोर्ट ने 24 साल बाद गवाह और दस्तावेजों के आधार पर पाया कि सास-ससुर ने कभी दहेज नहीं मांगा और कामिनी जिद्दी स्वभाव की थी। 2021 में ससुर की मृत्यु हो गई, और हाई कोर्ट ने सास को सभी आरोपों से बरी कर दिया।

रायपुर निवासी शोभा और सुधाकर राव के पुत्र सतीश की शादी 16 जनवरी 2001 को कामिनी से हुई थी। 14 अगस्त 2001 को कामिनी ने ट्रेन के सामने कूदकर जान दे दी। उसने एक सुसाइडल नोट लिखा था, जिसमें कहा था कि जब से मैं इस घर में आई हूं, मुझे गाली ही मिली है। कल मेरे बाबा ने पैर छूकर माफी मांगी तब भी इनका गुस्सा नहीं उतरा। इसलिये मैं यह कदम उठाने के लिए मजबूर हूं। मेरी लाश मिल जाए तो उसे मेरे माता-पिता को सौंप देना।

कोर्ट का फैसला:

हाई कोर्ट ने अपने फैसले में पाया कि कामिनी का स्वभाव जिद्दी था और उसने अपनी मर्जी से आत्महत्या की थी। गवाहों और दस्तावेजों की जांच के बाद, यह स्पष्ट हुआ कि सास-ससुर ने कभी भी दहेज की मांग नहीं की थी। मृतका के माता-पिता के बयान में भी यह बात सामने आई। इन सबूतों के आधार पर, हाई कोर्ट ने शोभा राव को सभी आरोपों से बरी कर दिया।

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