बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में पदस्थ स्टेनोग्राफर अरविंद यादव की पत्नी ज्योति यादव ने अक्टूबर 2020 की रात ससुराल पक्ष की प्रताड़ना से तंग आकर आत्महत्या कर ली थी। ज्योति के परिवार ने आरोप लगाया था कि पति अरविंद, सास कुसुम, ससुर राजाराम और ननद वंदना ने दहेज में कार की मांग को लेकर उसे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया, जिसके चलते उसने यह कदम उठाया। कोर्ट ने इस मामले में पति को सात साल, जबकि सास, ससुर और ननद को दो-दो साल की सजा और एक-एक हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है।
उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले के सैनी चकमानिकपुर निवासी बालाराम यादव की बेटी ज्योति की शादी 2020 में अरविंद यादव से हुई थी। शादी के समय बालाराम यादव ने 11 लाख रुपये नकद और अन्य उपहार दिए थे, लेकिन इसके बावजूद ससुराल वालों ने चारपहिया वाहन की मांग की। जब यह मांग पूरी नहीं हुई, तो उन्होंने ज्योति को प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। बार-बार समझाने के बावजूद अत्याचार जारी रहा, जिससे तंग आकर ज्योति ने आत्महत्या कर ली।
तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश की अदालत में सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने साक्ष्य और चिकित्सीय रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिससे सिद्ध हुआ कि कार की मांग पूरी न होने पर ज्योति को लगातार शारीरिक और मानसिक यातनाएं दी जा रही थीं। पति अरविंद के साथ-साथ उसकी मां कुसुम, पिता राजाराम और बहन वंदना भी प्रताड़ना में शामिल थे।
ज्योति के पिता ने अदालत में बताया कि उन्होंने बेटी की शादी के समय 11 लाख रुपये और सास के खाते में अतिरिक्त पैसे ट्रांसफर किए थे, लेकिन इसके बावजूद ज्योति को प्रताड़ित किया जाता रहा। पांच-छह अक्टूबर की रात, ससुराल में हुए झगड़े के बाद ज्योति ने अपने क्वार्टर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।
अदालत ने इस मामले में कहा कि दहेज प्रथा महिलाओं के लिए गंभीर मानसिक और शारीरिक यातनाओं का कारण बनती है। ससुराल पक्ष को दोषी ठहराते हुए न्यायालय ने इसे समाज के लिए एक गंभीर चेतावनी बताया और दहेज जैसी कुरीतियों पर सख्त कदम उठाने की जरूरत पर जोर दिया।