नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सार्वजनिक स्थलों पर स्तनपान और बाल देखभाल केंद्र स्थापित करने के लिए केंद्र सरकार से कार्य योजना मांगी है। यह कदम एक एनजीओ ‘मातृ स्पर्श’ द्वारा दायर याचिका के बाद उठाया गया, जिसमें माताओं और बच्चों के लिए इन सुविधाओं को मौलिक अधिकारों से जोड़ते हुए उनकी गरिमा और निजता बनाए रखने पर जोर दिया गया।
माताओं के अधिकारों और बच्चों के पोषण पर जोर
याचिका में कहा गया है कि बच्चों को स्तनपान कराने का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और निजता के मौलिक अधिकारों का हिस्सा है। हालांकि श्रम कानूनों में ऐसे प्रावधान मौजूद हैं, लेकिन सार्वजनिक स्थलों पर इनका क्रियान्वयन बेहद सीमित है।
महिलाओं की बढ़ती भागीदारी से सुविधाओं की मांग
एनजीओ ने तर्क दिया कि महिलाओं की कार्यबल में बढ़ती भागीदारी के कारण सार्वजनिक स्थलों पर स्तनपान और बाल देखभाल के लिए समुचित सुविधाएं अत्यंत आवश्यक हो गई हैं। इस संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से व्यापक नीति तैयार करने को कहा है।
अगली सुनवाई 10 दिसंबर को
जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने केंद्र को 10 दिसंबर तक इस पर अपनी प्रतिक्रिया देने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा कि इस विषय पर ठोस नीति बनाना महिलाओं और बच्चों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए जरूरी है।
संविधान के अनुच्छेद 42 और 47 का हवाला
याचिका में संविधान के अनुच्छेद 42 और 47 का उल्लेख करते हुए, पोषण, जीवन स्तर और सार्वजनिक स्वास्थ्य सुधार के लिए कानूनी उपायों की मांग की गई है। अधिवक्ताओं ने तर्क दिया कि इन सुविधाओं का विकास महिलाओं और बच्चों की गरिमा और स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है।