नई दिल्ली/काठमांडू। नेपाल में ऐतिहासिक बदलाव के बीच सुशीला कार्की ने देश की पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की है। शपथ समारोह शुक्रवार, 12 सितंबर 2025 को काठमांडू में आयोजित हुआ, जहां राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई।

शपथ के बाद सुशीला कार्की का बयान

शपथ ग्रहण के बाद अपने पहले संबोधन में सुशीला कार्की ने नेपाल में शांति और स्थिरता स्थापित करने का वादा किया। उन्होंने कहा, “हमारा लक्ष्य नेपाल को एकजुट और समृद्ध बनाना है। जेन जेड की मांगों को सुनकर हम एक समावेशी सरकार बनाएंगे।” भारत के बारे में बात करते हुए कार्की ने कहा, “भारत हमारा निकटतम पड़ोसी और मित्र है। मैं भारत के साथ मजबूत और सकारात्मक संबंध बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हूं।” उन्होंने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देते हुए कहा कि भारत ने हमेशा नेपाल के विकास में सहयोग किया है और भविष्य में भी यह सहयोग जारी रहेगा।

कार्की का चयन और सहमति

सुशीला कार्की का चयन तीव्र राजनीतिक उथल-पुथल और जेन जेड के नेतृत्व वाले आंदोलनों के बाद हुआ। नेपाल में पिछले कुछ हफ्तों में व्यापक प्रदर्शन हुए, जिसमें युवाओं ने भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और आर्थिक असमानता के खिलाफ आवाज उठाई। इन प्रदर्शनों के दबाव में पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार को हटना पड़ा। विभिन्न राजनीतिक दलों और नागरिक समाज के बीच लंबी चर्चाओं के बाद कार्की के नाम पर सहमति बनी, क्योंकि उनकी निष्पक्ष और पारदर्शी छवि को सभी ने स्वीकार किया। कार्की, जो पहले नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश रह चुकी हैं, अपनी सख्त और निष्पक्ष कार्यशैली के लिए जानी जाती हैं।

विश्व नेताओं और मीडिया की प्रतिक्रिया

विश्व नेताओं ने सुशीला कार्की के शपथ ग्रहण का स्वागत किया है। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा, “नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री सुशीला कार्की को बधाई। भारत-नेपाल संबंधों को और मजबूत करने के लिए हम साथ मिलकर काम करेंगे।” अमेरिका, चीन और यूरोपीय संघ ने भी कार्की को बधाई दी और नेपाल में शांति व स्थिरता के लिए समर्थन का वादा किया। बीबीसी, टाइम्स ऑफ इंडिया और अन्य अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने इसे नेपाल के लिए एक ऐतिहासिक कदम बताया, विशेष रूप से जेन जेड के आंदोलनों को राजनीतिक बदलाव का आधार माना।

नेपाल में हालात और जनजीवन

पिछले कुछ हफ्तों में नेपाल में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन और हिंसक झड़पें देखी गईं, जिनमें कई लोग घायल हुए और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचा। प्रदर्शनकारियों, खासकर जेन जेड के युवाओं, ने सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार और आर्थिक नीतियों को लेकर आंदोलन किया। वर्तमान में काठमांडू और अन्य प्रमुख शहरों में स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है, लेकिन कुछ क्षेत्रों में तनाव बना हुआ है। जनजीवन आंशिक रूप से सामान्य हुआ है, स्कूल और दुकानें फिर से खुल रही हैं, लेकिन कई इलाकों में अभी भी सुरक्षा बल तैनात हैं।

पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और उनके मंत्रिमंडल के कई सदस्यों को प्रदर्शनों के बाद इस्तीफा देना पड़ा। आम लोगों में मिश्रित भावनाएं हैं—कुछ नए नेतृत्व से उत्साहित हैं, जबकि अन्य भविष्य को लेकर आशंकित हैं। सरकार ने नुकसान की भरपाई के लिए राहत पैकेज की घोषणा की है और सार्वजनिक संपत्ति की मरम्मत का काम शुरू हो गया है।

नई सरकार का गठन और चुनौतियां

सुशीला कार्की के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार का गठन किया गया है, जिसमें विभिन्न दलों और युवा प्रतिनिधियों को शामिल किया गया है। सरकार की प्राथमिकता शांति बहाली, आर्थिक सुधार और जेन जेड की मांगों को संबोधित करना है। कार्की ने भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई और युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने का वादा किया है।

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