रायपुर। सीबीआई कोर्ट के पूर्व मजिस्ट्रेट प्रभाकर ग्वाल में कहा है कि निलंबित आईपीएस एडीजी जीपी सिंह की बिलासपुर के पूर्व एसपी राहुल शर्मा की आत्महत्या के मामले में भूमिका संदिग्ध है और उनको इस केस में बचाने की कोशिश की गई है।
उन्होंने रायपुर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि इस केस में मिले सुसाइड नोट में राहुल शर्मा ने अपने बॉस के द्वारा परेशान किए जाने की बात लिखी थी। उसके बाद उस वक्त के बिलासपुर में पुलिस महानिरीक्षक पर है जीपी सिंह पर उंगली उठी थी। इस केस में अकेले जीपी सिंह ही नहीं, कुछ और अफसरों की भूमिका थी। साल 2012 में जुलाई से सितंबर तक प्रभाकर ग्वाल इस केस की जांच टीम के शामिल थे, फिर उन्हें हटा दिया गया। ग्वाल अब इस केस की नये सिरे से जांच तथा दोषियों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि उनका संगठन सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में है। आत्महत्या करने वाले आईपीएस राहुल शर्मा का लैपटॉप अब तक गायब है, जिसमें कई तरह के महत्वपूर्ण दस्तावेज हो सकते हैं। उनकी कॉल डिटेल भी अब तक सामने नहीं आ पाई है। बिलासपुर में उनकी सुसाइड के बाद नाकेबंदी की गई लेकिन कई अफसर बिलासपुर से बाहर निकले। ऑफिसर्स मेस में उपस्थित लोगों से पूरा बयान नहीं लिया गया। भाजपा सरकार ने तब सीबीआई जांच कराई और सीबीआई ने बाद में केस बंद कर दिया। एक जांच समिति जेल महानिदेशक संजय पिल्ले ने बनाई, जिसमें बिलासपुर के पूर्व पुलिस दीपांशु काबरा, बिलासपुर के वर्तमान पुलिस महानिरीक्षक रतनलाल डांगी, पूर्व पुलिस अधीक्षक प्रशांत अग्रवाल और एडिशनल एसपी अर्चना झा को रखा गया, लेकिन जांच पर कैट ने स्थगन दे दिया। ग्वाल को आशंका जांच में रोक लगाने वालों की मंशा सबूतों की प्रभावित करने की हो सकती है।
ज्ञात हो कि सुसाइड नोट में आईपीएस राहुल शर्मा ने अंग्रेजी में लिखा था कि मैं अपनी जिंदगी से निराश हो चुका हूं और बीमार महसूस कर रहा हूं। मेरे काम में बॉस की दखल है और जज का व्यवहार उपेक्षा पूर्ण है। दोनों का क्रूर व्यवहार मेरे जीवन की शांति छीन रहा है और मेरे परिवार को डिस्टर्ब कर रहा है। अब मुझे अपना जीवन खत्म करना ही चुनना पड़ेगा। ज्ञात हो कि 2002 बैच के आईपीएस राहुल शर्मा (37 वर्ष) ने बिलासपुर में एसपी रहते हुए 12 मार्च 2012 को सिर पर सर्विस रिवाल्वर से गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। आज तक उनकी मौत का किसी को भी जवाबदार नहीं माना गया है।