बिलासपुर। राजद्रोह व आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में फंसे निलम्बित आईपीएस जीपी सिंह की गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। हालांकि सीबीआई जांच की उनकी मांग पर शीर्ष अदालत ने कोई आदेश नहीं दिया है। उन्हें पुलिस अधिकारियों का सहयोग करने व बिना अनुमति राज्य नहीं छोड़ने का निर्देश भी दिया गया है।

ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ एंटी करप्शन ब्यूरो और ईओडब्ल्यू ने जीपी सिंह के सरकारी आवास व ओडिशा सहित लगभग 10 ठिकानों पर छापा मारा था। उनके रायपुर स्थित सरकारी आवास के बाहर डायरी के फटे हुए पन्ने और पेन ड्राइव मिले थे जिसके बाद उनके विरुद्ध आय से अधिक सम्पत्ति के अलावा राजद्रोह का अपराध भी दर्ज कर लिया गया था।

इन आरोपों के बाद सिंह ने हाईकोर्ट की शरण ली और एफआईआर को राजनैतिक द्वेषवश दर्ज किया बताते हुए राहत की मांग की। उन्होंने अपने विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगाने तथा मामले को सीबीआई के सुपुर्द करने की मांग की थी लेकिन हाईकोर्ट से उन्हें कोई राहत नहीं मिली।

इसके बाद राज्य पुलिस ने उनसे पूछताछ के लिये दो बार नोटिस जारी किया और नहीं मिलने पर उनकी गिरफ्तारी के लिये उनके ठिकानों पर दबिश थी। इस बीच जीपी सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग की। यहां पर भी सिंह ने तर्क दिया कि सत्ता के मनमाफिक कार्य नहीं करने के कारण उनके विरुद्ध कार्रवाई की जा रही है। मामले की जांच सीबीआई से कराई जाये।

सुप्रीम कोर्ट ने आगामी आदेश तक सिंह की गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि कई बार देखा गया है कि जब तक कोई अधिकारी सत्ताधारी दल के लिये काम करता है उसे कोई तकलीफ नहीं होती बाद में उन्हें जांच की कार्रवाई का सामना करना पड़ता है।

सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच की मांग पर कोई फैसला नहीं दिया है और कहा है कि वे राज्य सरकार के जवाब के द्वारा पहले मामले को समझना चाहते हैं।

सिंह को यह भी निर्देश दिया गया है कि वे बिना कोर्ट की अनुमति के राज्य के बाहर नहीं जायेंगे और पुलिस जांच में सहयोग करेंगे।

 

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