बिलासपुर। महासमुंद जिला जेल में एक आदिवासी युवक की संदिग्ध मौत के मामले में हाईकोर्ट ने सरकार से दो हफ्ते में जवाब मांगा है। मृतक का नाम नीरज भोई था, जिसकी मौत 15 अगस्त 2024 को जेल में हुई थी।
नीरज भोई, ग्राम पिपरौद, जिला महासमुंद का रहने वाला था। उसे 12 अगस्त को बीएनएस की धारा 103 और 3(5) के तहत गिरफ्तार किया गया और उसी शाम जेल भेजा गया। मेडिकल जांच में वह डिप्रेशन और नशे की लत का मरीज पाया गया था।
जेल में उसके व्यवहार में गड़बड़ी दिखी – वह अन्य कैदियों पर थूकने और काटने लगा। डॉक्टरों ने इसे विड्रॉल सिम्पटम्स बताया और इलाज शुरू किया गया, लेकिन हालत में सुधार नहीं हुआ। 15 अगस्त की सुबह उसे अस्पताल ले जाया गया, जहाँ उसे मृत घोषित कर दिया गया।
पोस्टमार्टम और जांच रिपोर्ट ने खोली परतें
- पोस्टमार्टम रिपोर्ट (17 अगस्त) में सामने आया कि नीरज की मौत गला दबाने से हुई।
- उसके शरीर पर कुल 35 ताजा चोटों के निशान थे, जिनमें से 8 आंतरिक रूप से जानलेवा साबित हुईं।
- गिरफ्तारी के समय उसकी मेडिकल रिपोर्ट में किसी भी चोट का जिक्र नहीं था, जिससे साफ होता है कि सारी चोटें जेल के भीतर ही लगीं।
क्या हुआ था जेल में?
जांच में सामने आया है कि 13 और 14 अगस्त की रातों को, मानसिक बीमारी के नाम पर नीरज को लोहे के गेट से बांधकर खुले में छोड़ दिया गया। उसकी हालत पर ध्यान देने और इलाज करने की बजाय शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया।
अब इस पूरे मामले को हिरासत में हत्या मानते हुए हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्य सरकार से दो हफ्ते में जवाब मांगा है।