केन्द्रीय विश्वविद्यालय में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया कुल-उत्सव

गुरु घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय में  मंगलवार 18 दिसम्बर को गुरु घासीदास जयंती एवं कुल उत्सव का आयोजन किया गया। समारोह की मुख्य अतिथि विख्यात पंडवानी गायिका पदमभूषण डॉ. तीजन बाई रहीं। अध्यक्षता विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. अंजिला गुप्ता ने की। मंच पर कुलसचिव प्रो. शैलेन्द कुमार एवं अधिष्ठाता, छात्र कल्याण डॉ. एम.एन. त्रिपाठी भी उपस्थित थे।

विश्वविद्यालय परिवार ने कुलपति प्रो. गुप्ता के साथ गुरु घासीदास की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर पूजा अर्चना की। इसके बाद शांति के प्रतीक सफेद गुब्बारे आसमान पर छोड़े गए। यहां से सभागार तक पदयात्रा निकाली गई। गुरु घासीदास के पंथ सतनाम के प्रतीक श्वेत ध्वज के साथ यह पदयात्रा निकली। बाबा गुरु घासीदास के जयकारे के साथ रजत जयंती सभागार में कुल उत्सव प्रारंभ हुआ। तरंग बैंड समूह ने कुलगीत का सस्वर गायन किया।

मुख्य अतिथि पद्मभूषण डॉ. तीजन बाई ने कहा कि आप लोगों ने मेरी पंडवानी को बहुत सुनी होगी। आज भाषण देने का अवसर मुझे मिला है, जो मेरे लिये सौभाग्य का विषय है। गुरु घासीदास बाबा ने सभी धर्मों के लिये काम किया। मांस मदिरा का विरोध किया। वे हमेशा सच बोलते थे। आज के जमाने में सच बोलने वाले बहुत कम मिलते हैं। सच बोलेंगे, तो सुकून मिलेगा। सच ही भगवान है। गुरु घासीदास सत्य के पुजारी थे। उद्बोधन के बाद उन्होंने महाभारत में कुरुक्षेत्र के मैदान में कौरवों एवं पाण्डवों के बीच हुए युद्ध को पंडवानी गायन के साथ प्रस्तुत कर उपस्थित लोगों का मन मोह लिया। उनके इस अद्भुत प्रदर्शन ने खूब तालियॉं बटोरी।

समारोह की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. अंजिला गुप्ता ने कहा कि पंडवानी को पूरे विश्व में ख्याति दिलाने वाली डॉ. तीजन बाई के स्वर में अभी भी माधुर्य, हुंकार एवं पंडवानी की ललकार बनी हुई हैं। महिला होते हुए भी काफी संघर्ष किया और समाज के विरोध के वाजूद एक विधा को आगे बढ़ाया। हमारा देश भारत  संत, महात्माओं एवं ऋषिओं की पुण्य भूमि रहा है। विभिन्न कालखंडों में अलग अलग महान आत्माओं ने अवतरित होकर भारतीय समाज में व्याप्त अन्याय,  सामाजिक आर्थिक विषमता, शोषण तथा जातिभेद आदि कुरुतियों को दूर कर एक स्वस्थ, समुन्नत और अग्रगामी समाज के  निर्माण  की कल्पना को मूर्त रुप देने के लिए निरंतर प्रयास किया। इसी संत परम्परा में छत्तीसगढ़ की पावन धरा पर महान समाज सुधारक, शांति व अहिंसा, सत्य एवं सतनाम के पुजारी संत बाबा  गुरु घासीदास  का अवतरण रायपुर गजेटियर के अनुसार  18 दिसंबर, सोमवार माघपूर्णिमा को 1756 को वर्तमान में  बलौदाबाजार जिला के ग्राम गिरौदपुरी में हुआ था। संत शिरोमणी गुरु घासीदास बाबा निर्गुण धारा के सुधारक पंथो में सतनामी पंथ प्रमुख है। आज जब समूचा विश्व बाह्य जगत के पदार्थवादी खोज में व्यस्त है, वैज्ञानिक विकास के चकाचौंध में कंफ्यूज हो रहा है कि वास्तव में सत्य क्या है?  ऐसे समय में बाबा गुरु घासीदास बाबा के उपदेश  अत्यन्त ही प्रासंगिक एवं तर्कसंगत है। वर्तमान में विश्व के सभी देश शांति, सुरक्षा एवं पावर बैलेंस के नाम पर नाभकीय व घातक हथियारों के संग्रहण को प्रथम प्राथमिकता दे रहे हैं तथा रक्षा के लिए बजट बढ़ाते ही जा रहा है। गुरु घासीदास बाबा का सन्देश की सभी मानव एक समान है ( मनखे मनखे एक समान ) प्रेम एवं करुणा पर आधारित है, जिसमें मानवीय संवेदना और आपसी विश्वास है।

उन्होंने कहा कि बाबा की  सत्य के प्रति साधना इतनी गहरी थी कि  केवल  जाति ही नहीं अपितु प्रत्येक जीव के प्रति  संवेदनशील थे। सत्य की खोज में आत्मसाक्षात्कार होने के बाद बाबा ने ईश्वर को निर्गुण मानते हुए मूर्ति पूजा का विरोध किया तथा सत्य को ही मानव का आभूषण माना। उनका यह अनुभव था  कि आत्मा ही परमात्मा है। हमारा केन्द्रीय विश्वविद्यालय महान संत बाबा गुरु घासीदास के शिक्षाओं तथा उपदेशों का अनुगमन करने का प्रयास करता है।  विश्वविद्यालय दिनों दिन प्रगति के पथ पर बाबाजी के आशीर्वाद से बढ़ रहा है।  बाबाजी के उपदेशों के अनुरुप ही विश्वविद्यालय में सार्वजनिक स्थलों पर मांस-मदिरा का सेवन पूर्णतः वर्जित है। विश्वविद्यालय कैंपस में अन्य नशीले पदार्थ भी प्रतिबंधित है।

कुलपति ने मुख्य अतिथि डॉ. तीजन बाई को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। इस अवसर पर समाज सेवा के विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले सामाजिक कार्यकताओं को सम्मानित किया गया।

इसके पहले स्वागत उद्बोधन में छात्र कल्याण अधिष्ठाता डॉ. एम.एन.त्रिपाठी ने कहा कि कुलपति व डॉ. तीजन बाई यहां ज्ञान और संगीत दोनों का प्रतिनिधित्व कर रही हैं।  देश विदेश में छत्तीसगढ़ की लोक विधा पंडवानी को विख्यात करने वाली डॉ. तीजन बाई को गुरु घासीदास विश्वविद्यालय द्वारा दिनांक 27 मई 2003 को डी.लिट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया था। भारत सरकार द्वारा उन्हें 1988 में पद्मश्री एवं 2003 में कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से अलंकृत किया गया। उन्हें वर्ष 1995 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार एवं 2007 में नृत्य शिरोमणी से सम्मानित किया जा चुका है। देवेन्द्र सिंह, सहायक प्राध्यापक कम्प्यूटर साइंस इंजीनियरिंग ने गुरु घासीदास के व्यक्तिव एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि बाबा गुरु घासीदास निर्गुण धारा के सुधारक पंथों में सतनामी पंथ प्रमुख हैं। उन्होंने परिवारिक जीवन से पृथक रहकर सत्य की खोज में अनवरत साधना की। उन्होंने सात महान देववाणी संदेश देते हुए 42 अमृत वाणी का उल्लेख किया है। उनके सतोपदेश में दया, करुणा, क्षमा एवं संतोष पर प्रमुखता से जोर दिया गया है। उन्होंने अध्यात्म एवं सत्य के मार्ग को चुनते हुए समाज में व्याप्त कुरुतियों, धार्मिक पाखंड, असमानता एवं अंधविश्वास के खिलफ अजीवन संघर्ष किया।

समारोह में प्रत्येक अध्ययनशाला में सर्वोच्च अंक एवं पूरे विश्वविद्यालय में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को नगद राशि एवं प्रमाण पत्र से सम्मानित किया गया। समस्त अध्ययनशालाओं में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने पर कु. चंद्रिका, बीएससी चतुर्थ सेमेस्टर भौतिकी को सम्मानित किया गया। सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाले छात्र-छात्रा कु. चंद्रिका, बीएससी चतुर्थ सेमेस्टर भौतिकी, चित्रलेखा साहू, एमएससी तृतीय सेमेसस्टर गणित देवारुनदास भौमिक, बीटेक सप्तम सेमेस्टर मैकेनिकल इंजीनियरिंग , पूजा पटेल, बीकाम पंचम सेमेस्टर, अर्पिता नाहक, एमएससी तृतीय सेमेस्टर जूलॉजी,  एकता शिरभाटे, बीफर्म सप्तम सेमेस्टर, किशोर कुमार कोठारी, एमए तृतीय सेमेस्टर अर्थशास्त्र, माधुरी मरकाम, बीकॉम एलएलबी नवम सेमेस्टर व पारुल शुक्ला, एमलिब प्रथम सेमेस्टर को पुरस्कृत किया गया।

इसी तरह राष्ट्रीय स्तर के प्रतियोगिताओं में विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व करने वाले छात्र-छात्राओं एवं उनके साथ जाने वाले शिक्षकों, प्रबंधकों का भी सम्मान किया गया। राष्ट्रीय स्तर पर किसी खेल में भाग लेने वाले छात्र-छात्राओँ एवं कोच तथा मैनेजर प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाती है। खेलकूद के लिए पंकज कुमार बागडे, प्रान्जल सिंह, अविनाश कुमार यादव, प्रमोद कुमार मौर्य, मुलायम राम, राजेश्वरी साहु, स्वर्णा तिवारी, सोनम बानो, गौतम कुमार, लक्ष्मी साहू, आशीष कुमार, प्रदीप यादव, अमित पाल, ममता कुमारी, दिव्यांश कुमार तिवारी, रवि कुमार, पूजा मिश्रा, मनोज यादव, संदीप गुप्ता एवं लालजी यादव शिक्षक (कोच एवं मैनेजर) डॉ संजीत सरदार एवं रविन्द्र नाथ मिश्रा को सम्मानित किया गया।

शिक्षक दिवस पर हुए विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया। भाषण प्रतियोगिता के अंतर्गत- प्रथम पुरस्कार शुभंम पाठक, प्राकृतिक संसाधन, द्वितीय पुरस्कार अंशुमन दुबे, विधि अध्ययनशाला, तृतीय पुरस्कार सबा शाहिन, भौतिक विज्ञान अध्ययनशाला  को प्रदान किया गया। वाद-विवाद प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार शंकुल शुक्ला-संगणक एवं अभियांत्रिकी, द्वितीय पुरस्कार आर्य त्रिपाठी -भौतिक, सैकत पांडा-समाज विज्ञान, मकसूद आलम-समाज विज्ञान एवं तृतीय पुरस्कार कमलेश पटेल-विधि को दिया गया।

28 सितम्बर सर्जिकल स्ट्राइक डे पर आयोजित प्रतियोगिताओं के विजेता छात्र-छात्राओं को प्रमाण पत्र एवं स्वामी विवेकानंद की जीवनी की किताब भेंट कर सम्मानित किया गया। कार्टून प्रतियोगिता के अवसर पर विजेताओं को प्रोत्साहन हेतु प्रमाण-पत्र एवं स्वामी विवेकानंद की आत्मकथा की पुस्तक प्रदान की गई। राहुल सिंह-जीव विज्ञान, अंचल यादव-भौतिक विज्ञान एवं रिया चक्रवर्ती-प्रबंध एवं वाणिज्य। चित्रकला प्रतियोगिता में हिमांशु शेखर शबर, आरिडिला हालधर, ऐश्वर्या दास एवं श्रेयोशी साहा को सम्मानित किया गया। ।

गुरु घासीदास बाबा के उपदेशों का महत्व विषय पर भाषण प्रतियोगिता में शैलेष पाण्डेय प्रथम, शुभम पाठक द्वितीय एवं कृष्णा यादव तृतीय रहे। चित्रकला प्रतियोगिता में 21 प्रतिभागी शामिल हुए। ‘बाबा गुरु घासीदास के जीवन एवं संदेशोंपर आधारित चित्रकला प्रतियोगिता में हिमांशु शेखर सेबर प्रथम, देबास्मिता नंदन द्वितीय एवं प्रकृति निषाद ने तीसरा स्थान प्राप्त किया।  इसी प्रकार बाबा गुरु घासीदास के जीवन से संबंधित विषय पर आयोजित सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता में योगेश कुमार प्रथम, श्रेयान शर्मा द्वितीय,एवं नीरज कश्यप तृतीय रहे।

विश्वविद्यालय द्वारा संचालित छात्र कल्याण योजना 2018 ते तहत शत प्रतिशत दृष्टिबाधित दो विद्यार्थियों के छात्रावास की मेस फीस माफ की गई। वहीं स्नातकोत्तर इंदिरा गांधी एकल कन्या छात्रवृत्ति के अंतर्गत दो छात्राओं के स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम के समस्त शिक्षण शुल्क से छूट प्रदान की गई। छात्र कल्याण योजना जांच समिति की अनुशंसा एवं कुलपति विवेकाधीन तीन निर्धन छात्रों को समस्त शिक्षण शुल्क से छूट प्रदान की गई। छात्र कल्याण योजना 2017 के अंतर्गत एक निःशक्त छात्रा को ट्राय साइकिल दी गई  थी। जिसे 2018 में भी जारी रखा गया है।

 

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