रायपुर। 7 अक्टूबर 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) ने चार महत्वपूर्ण रेल परियोजनाओं को मंजूरी दी, जिनकी कुल लागत लगभग 24,634 करोड़ रुपये है। इनमें महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के बीच गोंदिया-डोंगरगढ़ चौथी रेल लाइन परियोजना भी शामिल है। यह 84 किलोमीटर लंबी परियोजना 2,223 करोड़ रुपये की लागत से पूरी होगी और 2030-31 तक चालू हो जाएगी। यह परियोजना पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के तहत विकसित की जा रही है, जो मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी और लॉजिस्टिक्स दक्षता को मजबूत करेगी। यह मुंबई-हल्दिया रेल कॉरिडोर का हिस्सा है, जो ऊर्जा और माल परिवहन के लिए महत्वपूर्ण है।
औद्योगिक और खनिज संबंधी लाभ
यह परियोजना पश्चिमी छत्तीसगढ़ और विदर्भ (महाराष्ट्र) क्षेत्र के औद्योगिक विकास को गति देगी। क्षेत्र कोयला, लौह अयस्क, स्टील और सीमेंट जैसे खनिज संसाधनों से समृद्ध है। चौथी लाइन से माल परिवहन की क्षमता में भारी वृद्धि होगी, जिससे लॉजिस्टिक्स लागत कम होगी और आपूर्ति श्रृंखला मजबूत बनेगी। प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं:
- औद्योगिक लाभ:
- माल परिवहन क्षमता: वर्तमान में तीन लाइनें हैं; चौथी लाइन से प्रतिवर्ष 30 मिलियन टन (3 करोड़ टन) अतिरिक्त माल परिवहन संभव होगा। इससे स्टील, सीमेंट, ऑटोमोबाइल और टेक्सटाइल उद्योगों को फायदा होगा, क्योंकि कच्चे माल (जैसे लौह अयस्क) का तेज और सस्ता परिवहन होगा।
- क्षेत्रीय विकास: छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव, गोंदिया और आसपास के जिलों में औद्योगिक हब विकसित होंगे। ऊर्जा क्षेत्र (कोयला-आधारित पावर प्लांट) को कनेक्टिविटी मिलेगी, जिससे उत्पादन बढ़ेगा और रोजगार सृजन होगा।
- लॉजिस्टिक्स दक्षता: डीजल बचत (लगभग 28 करोड़ लीटर) और लॉजिस्टिक्स लागत में 10-15% कमी से उद्योगों की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता बढ़ेगी।
- खनिज संबंधी लाभ:
- कोयला और खनिज परिवहन: छत्तीसगढ़ भारत का प्रमुख कोयला उत्पादक राज्य है (कोरबा, रायगढ़ क्षेत्रों से)। यह लाइन कोयला, लौह अयस्क और अन्य खनिजों को दक्षिण भारत (चेन्नई, हैदराबाद) और पूर्वी तट तक तेजी से पहुंचाएगी। इससे खनन कंपनियों को लाभ होगा और निर्यात बढ़ेगा।
- पर्यावरणीय फायदा: रेल परिवहन से CO₂ उत्सर्जन में 23 करोड़ किलोग्राम कमी आएगी, जो 1 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है। यह खनन उद्योगों के सस्टेनेबल विकास को बढ़ावा देगा।
रेलवे और भारत सरकार को लाभ
रेलवे और केंद्र सरकार के लिए यह परियोजना आर्थिक, पर्यावरणीय और सामाजिक दृष्टि से रणनीतिक महत्व की है। प्रमुख लाभ का अनुमान इस प्रकार है:
लाभ का प्रकार | विवरण | अपेक्षित प्रभाव |
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आर्थिक लाभ | फ्रेट राजस्व में वृद्धि (अतिरिक्त माल से); लॉजिस्टिक्स लागत में कमी से जीडीपी में योगदान। | 18 जिलों (महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, गुजरात) को कवर करने वाली परियोजनाओं से कुल 894 किमी नेटवर्क विस्तार; 3,633 गांवों की कनेक्टिविटी सुधार। |
परिचालन लाभ | यात्री और माल गाड़ियों की संख्या बढ़ेगी; गोंदिया जंक्शन पर भीड़भाड़ कम होगी; ब्रिज, टनल और ओवरब्रिज से दक्षता। | ट्रेनों की औसत गति 25 किमी/घंटा बढ़ेगी; देरी में कमी। |
पर्यावरणीय लाभ | तेल आयात में कमी (28 करोड़ लीटर); CO₂ उत्सर्जन में 139 करोड़ किग्रा कमी (कुल चार परियोजनाओं से)। | जलवायु लक्ष्यों की प्राप्ति; 6 करोड़ पेड़ों के बराबर प्रभाव। |
सामाजिक/क्षेत्रीय लाभ | रोजगार सृजन (निर्माण और संचालन में); पर्यटन बढ़ावा (हजारा जलप्रपात, नवेगांव राष्ट्रीय उद्यान, बम्लेश्वरी मंदिर)। | ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘विकसित छत्तीसगढ़ 2047’ विजन को मजबूती; ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत। |
यह परियोजना रेलवे की क्षमता को दोगुना करेगी और भारत सरकार के इंफ्रास्ट्रक्चर पुश को सपोर्ट करेगी।
इस मार्ग पर संभावित लाभान्वित उद्योग
परियोजना के प्रत्यक्ष लाभार्थी क्षेत्रीय उद्योगपति और कंपनियां होंगी, जो खनन, स्टील और ऊर्जा क्षेत्रों में सक्रिय हैं। विशिष्ट नामों का उल्लेख सरकारी घोषणाओं में नहीं है, लेकिन क्षेत्रीय संदर्भ से निम्नलिखित संभावित लाभार्थी हैं:
- कोयला और ऊर्जा क्षेत्र:
- कोल इंडिया लिमिटेड (साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड – SECL) के उद्योगपति/अधिकारी; छत्तीसगढ़ के कोरबा कोयला क्षेत्र से जुड़े व्यवसायी। लाभ: कोयला परिवहन में 30 मिलियन टन क्षमता बढ़ने से लागत बचत।
- स्टील और खनन क्षेत्र:
- जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटED (JSPL) के संस्थापक परिवार (ओ.पी. जिंदल ग्रुप) – छत्तीसगढ़ में बड़े प्लांट्स; लौह अयस्क परिवहन से फायदा।
- भिलाई स्टील प्लांट (SAIL) से जुड़े स्थानीय उद्योगपति; राजनांदगांव क्षेत्र के खनन व्यवसायी।
- सीमेंट और अन्य उद्योग:
- जेके सीमेंट या अम्बुजा सीमेंट जैसे क्षेत्रीय प्लांट मालिक; गोंदिया-डोंगरगांव के आसपास के छोटे-मझोले उद्योगपति (MSMEs) जो कच्चे माल पर निर्भर हैं।
- स्थानीय व्यवसायी जैसे राजनांदगांव के ट्रांसपोर्ट और लॉजिस्टिक्स ऑपरेटर, जो रेल फ्रेट से जुड़े हैं।
ये उद्योगपति परिवहन लागत में कमी से 10-20% मुनाफा बढ़ा सकेंगे। कुल मिलाकर, यह परियोजना छत्तीसगढ़ को ‘विकास एक्सप्रेस’ बनाने का माध्यम बन सकती है, जैसा कि मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा है।