बिलासपुर। रायगढ़ क्षेत्र में तालाब में फंसे एक हाथी के शावक की मौत के मामले पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार, वन विभाग, बिजली विभाग और पर्यावरण विभाग से जवाब मांगा था। शुक्रवार को सभी विभागों ने अपना शपथपत्र अदालत में प्रस्तुत किया। कोर्ट ने इस घटना को गंभीर मानते हुए कहा कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने होंगे।

कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि निरीक्षण, निगरानी और त्वरित उपचारात्मक व्यवस्था बनाई जानी चाहिए ताकि वन्यजीवों की जान खतरे में न पड़े। राज्य सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि भविष्य में इस तरह की किसी भी दुर्भाग्यपूर्ण घटना को रोकने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जाएंगे।

अवमानना मामले में दो IAS अफसरों को नोटिस
इसी के साथ, जांजगीर जिले में पदस्थ पटवारी महादेव देवांगन से जुड़ी एक अवमानना याचिका की सुनवाई भी हुई। देवांगन ने अपने स्थानांतरण आदेश को चुनौती देते हुए कहा था कि उसने स्थानांतरण समिति के समक्ष अभ्यावेदन दिया था, जो अब तक लंबित है। कोर्ट ने 5 जून 2025 की स्थानांतरण नीति का हवाला देते हुए कहा था कि समिति को नियमानुसार विचार करना चाहिए, लेकिन आदेश का पालन नहीं हुआ।

इस पर नाराज होकर न्यायमूर्ति एन. के. व्यास की सिंगल बेंच ने दो आईएएस अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश दिया और कहा कि आदेश की जानबूझकर अवहेलना की गई है। अदालत ने एक सप्ताह के भीतर साधारण और पंजीकृत दोनों माध्यमों से नोटिस भेजने का आदेश दिया। इस मामले की अगली सुनवाई 16 दिसंबर को होगी।

वन विभाग पर कोर्ट की सख्त टिप्पणी
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि वन विभाग के पास अभी तक जलाशयों और जोखिम वाले स्थलों की निगरानी का कोई सुदृढ़ तंत्र नहीं है। बीट और रेंज स्तर के कर्मचारी सीमित संसाधनों के कारण आपात स्थिति में तत्काल कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं। अदालत ने टिप्पणी की कि हाथियों के बच्चों की बार-बार हो रही मौतें वन्यजीव संरक्षण में गंभीर कमी का संकेत हैं, जिसे दूर करना सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी है।

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