बिलासपुर। दक्षिण पूर्व कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) के पूर्व कर्मचारी के बेटे द्वारा अनुकंपा नियुक्ति की मांग को लेकर दायर याचिका को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि अनुकंपा नियुक्ति केवल उन्हीं मामलों में दी जाती है, जहां परिवार आर्थिक संकट में हो। यदि परिवार के पास पहले से आय का साधन है तो यह नियुक्ति पाने का अधिकार नहीं बनता।

कोरबा निवासी लखनलाल चंद्रा एसईसीएल की सेंट्रल वर्कशॉप में ऑर्डिनेट इंजीनियर थे। उनकी मृत्यु 26 दिसंबर 2018 को सेवाकाल के दौरान हुई थी। इसके बाद बेटे मिनकेतन चंद्रा ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन दिया, लेकिन एसईसीएल प्रबंधन ने इसे अस्वीकार कर दिया। वजह यह बताई गई कि मृतक की पत्नी नीलम चंद्रा पहले से ही नौकरी में हैं, इसलिए अतिरिक्त आश्रित को नौकरी नहीं दी जा सकती।

इस निर्णय के खिलाफ मिनकेतन और उनकी मां ने हाई कोर्ट में याचिका लगाई, लेकिन जस्टिस दीपक कुमार तिवारी की सिंगल बेंच ने भी प्रबंधन का फैसला बरकरार रखा। कोर्ट ने माना कि विधवा पहले से नौकरी में हैं और परिवार के पास पर्याप्त आय है, इसलिए अनुकंपा नियुक्ति की जरूरत नहीं है।

कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि अनुकंपा नियुक्ति कोई कानूनी अधिकार नहीं, बल्कि सिर्फ आकस्मिक आर्थिक संकट से राहत देने का एक माध्यम है। केवल जीवन स्तर में कमी आ जाना इसके लिए आधार नहीं माना जा सकता।

याचिकाकर्ताओं ने 25 जून 2024 के नए सर्कुलर का हवाला भी दिया, जिसमें कुछ स्थितियों में अतिरिक्त आश्रित को नौकरी देने की बात कही गई थी। लेकिन हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि आवेदन पर विचार उसी नियमों के आधार पर किया जाएगा, जो कर्मचारी की मृत्यु या आवेदन के समय प्रभावी थे। 1981 के नियम के अनुसार यदि आश्रित पहले से नौकरी में है, तो दूसरे आश्रित को नौकरी पर विचार नहीं किया जाएगा।

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