रायपुर। नारायणपुर जिले की तीन युवतियों, कमलेश्वरी प्रधान, ललिता उसेंडी और सुकमती मंडावी ने छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग में शिकायत दर्ज कराई है। इनका आरोप है कि 25 जुलाई को दुर्ग रेलवे स्टेशन पर बजरंग दल के कार्यकर्ताओं और सरकारी रेलवे पुलिस (GRP) ने उनके साथ शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न किया। महिलाओं का कहना है कि वे केरल की ननों के साथ अपनी मर्जी से आगरा जा रही थीं, जहां वे अस्पताल में काम करने वाली थीं। लेकिन स्टेशन पर उनको रोककर गलत तरीके से पेश आया गया।
शिकायत में युवतियों ने ज्योति शर्मा, रवि निगम, रतन यादव और GRP दुर्ग प्रभारी पर इल्जाम लगाया कि उन्हें शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया, गाली-गलौज की गई और पुलिस के सामने ही सामूहिक दुष्कर्म की धमकी दी गई।
आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक ने बताया कि सुनवाई के दौरान आरोपी सामने नहीं आए। अब अगली सुनवाई में उन्हें पुलिस के जरिए बुलाया जाएगा, जिसमें GRP प्रभारी को भी शामिल किया जाएगा। आयोग ने दुर्ग पुलिस से 25 जुलाई की घटना का पूरा ब्योरा और CCTV फुटेज मांगा है।
महिलाओं ने पहले नारायणपुर के एसपी से भी शिकायत की थी। उनका दावा है कि वे करीब छह साल पहले ईसाई धर्म अपना चुकी थीं और ननों के साथ स्वेच्छा से जा रही थीं। लेकिन बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने उन्हें स्टेशन पर जबरन रोका, पीटा और गंदी बातें कही। उनके रिश्तेदारों ने कहा कि तीनों महिलाएं अभी भी डरी हुई और सदमे में हैं। उन्होंने ज्योति शर्मा और अन्य बजरंग दल सदस्यों के खिलाफ FIR की मांग की है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।
घटना क्या हुई थी?
यह मामला तब शुरू हुआ जब 25 जुलाई को केरल की दो ननों को दुर्ग रेलवे स्टेशन पर बजरंग दल के कार्यकर्ताओं की शिकायत पर गिरफ्तार किया गया। उन पर मानव तस्करी और जबरन धर्म परिवर्तन का आरोप लगा था। बाद में 2 अगस्त को बिलासपुर की एनआईए कोर्ट ने ननों को जमानत दे दी। इस घटना ने राज्य में सियासी और सामाजिक बहस छेड़ दी है। महिलाओं का कहना है कि वे ननों के साथ सुरक्षित थीं, लेकिन बजरंग दल और पुलिस की कार्रवाई ने उन्हें परेशान कर दिया।