उत्कर्ष बैंक के म्यूल अकाउंट्स के जरिए की गई थी 36.48 लाख की धोखाधड़ी
बिलासपुर। 36.48 लाख रुपये की साइबर ठगी में गिरफ्तार तीन आरोपियों की जमानत याचिका छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है। मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा की एकलपीठ ने इसे संगठित अपराध मानते हुए कहा कि आरोपियों की संलिप्तता गंभीर है। इससे पहले भी इन आरोपियों की जमानत याचिकाएं खारिज हो चुकी हैं। इस पूरे मामले में रायपुर पुलिस ने गृह मंत्रालय से मिली सूचना के आधार पर कार्रवाई की थी।
गृह मंत्रालय की सूचना पर हुई कार्रवाई
20 जनवरी 2025 को रायपुर सिविल लाइन थाना को गृह मंत्रालय के पोर्टल से जानकारी मिली कि उत्कर्ष बैंक, रायपुर में 104 म्यूल खाते खोले गए हैं। ये खाते साइबर ठगी में उपयोग किए जा रहे थे। सूचना के आधार पर पुलिस ने BNS की धारा 317 (2), 317 (4), 317 (5), 111 व 3 (5) के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू की।
तीन आरोपी पकड़े गए, बैंक कर्मचारी भी शामिल
जांच के दौरान अनुपम शुक्ला, प्रवीण ठाकुर और ओम आर्य को गिरफ्तार किया गया।
- अनुपम शुक्ला उत्कर्ष बैंक में सेल्स एग्जीक्यूटिव के पद पर कार्यरत था। उसने अपनी आईडी से 5 फर्जी खाते खोले, जिनका उपयोग मुख्य आरोपी यश भाटिया और उसके साथियों ने ठगी में किया। वह 27 जनवरी 2025 से जेल में है।
- प्रवीण ठाकुर पर 5000 रुपये में अपना बैंक खाता बेचने का आरोप है।
- ओम आर्य ने जो दो सिम कार्ड सक्रिय किए थे, उनका उपयोग भी साइबर फ्रॉड में किया गया।
कोर्ट ने माना—संगठित साइबर गिरोह का हिस्सा
राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि ये तीनों आरोपी एक संगठित साइबर गिरोह का हिस्सा हैं। इससे पहले आयुष मसराक, शुभम सिंह ठाकुर और उमेश ठडस की जमानत अर्जी भी खारिज हो चुकी है। कोर्ट ने केस डायरी और प्रस्तुत तथ्यों को ध्यान में रखते हुए पाया कि आरोपी सक्रिय रूप से साइबर ठगी में शामिल थे। इसी आधार पर हाईकोर्ट ने तीनों आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी।