बिलासपुर। पत्नी से अलग रह रहे रायपुर निवासी एक व्यक्ति की उस याचिका को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है, जिसमें उसने हर महीने अपने बेटे और बेटी से मिलने की अनुमति मांगी थी। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि बच्चे मां के पास हैं, जो कि उनकी प्राकृतिक अभिभावक है। अतः इसे अवैध हिरासत नहीं माना जा सकता।

याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल कर आग्रह किया था कि अदालत पत्नी को निर्देश दे कि वह हर महीने के पहले रविवार को बच्चों को भिलाई लाकर सुबह से शाम तक मिलने दे। याचिका में यह भी कहा गया कि पति-पत्नी के बीच विवाद चल रहा है और पत्नी बच्चों को अपने मायके धमतरी में रखे हुए है, जहां वे पढ़ाई कर रहे हैं। पत्नी सरकारी सेवा में कार्यरत है।

पति का आरोप था कि पत्नी उसे बच्चों से मिलने नहीं दे रही है। उसने अदालत से आग्रह किया था कि बच्चों को पेश करने और मुलाकात की अनुमति देने का निर्देश दिया जाए।

हाईकोर्ट ने इस याचिका को अस्वीकार्य मानते हुए कहा कि बच्चों की कस्टडी को लेकर यदि कोई विवाद है, तो इसके लिए उचित मंच उपलब्ध है। याचिकाकर्ता गार्जियन एंड वॉर्ड्स एक्ट, 1890 के तहत संबंधित अदालत में याचिका दायर कर सकते हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here