बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में सड़कों पर  मवेशियों की मौत के मामले थम नहीं रहे। हाईकोर्ट ने एक बार फिर सरकार को आड़े हाथों लिया और कहा कि केवल योजनाएं और दावे करने से जिम्मेदारी पूरी नहीं होती, उसका असर जमीन पर दिखना चाहिए। कोर्ट ने सरकार के उस दावे को दिखावा बताया जिसमें 2 हजार मवेशियों को सड़कों से हटाने की बात कही गई थी।

चीफ जस्टिस रमेशसिन्हा और जस्टिस रवींद्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने कहा कि राज्य ‘वेलफेयर स्टेट’ है, ऐसे में पंचायत से लेकर निगम और प्रशासन तक सभी को मिलकर समाधान निकालना होगा। योजनाएं और एसओपी तब तक बेअसर हैं जब तक उनका सख्ती से पालन न हो।

तीन जिलों में हादसे, 17 मवेशियों की मौत

16 सितंबर को रतनपुर रोड, दुर्ग और कांकेर में अलग-अलग हादसों में 17 गायों की जान चली गई। रतनपुर में ट्रक ने झुंड को कुचल दिया, दुर्ग में कंटेनर की टक्कर से 8 गायों की मौत हुई और कांकेर में एक ट्रक से 1 मवेशी मारा गया। एक गर्भवती गाय का पेट फटकर बछड़ा भी बाहर आ गया था।

रात में गश्त बंद करने पर सवाल 

अधिकारियों ने दावा किया कि रात 8 बजे तक गश्त होती है, लेकिन हादसे उसके बाद हो रहे हैं। इस पर कोर्ट ने तीखा सवाल किया कि जब दुर्घटनाएं देर रात होती हैं तो गश्त 8 बजे बंद क्यों कर दी जाती है? अदालत ने कहा कि सरकार हाईवे और चौड़ी सड़कें बनाने पर गर्व करती है, लेकिन उन पर मवेशी मर रहे हैं और लोग हादसों का शिकार हो रहे हैं।

2000 मवेशियों को उठाने के दावे पर भी सवाल 

हाईकोर्ट ने प्रशासन पर तंज कसते हुए कहा कि 2000 मवेशियों को उठाने का दावा खोखला है। हकीकत यह है कि दिखावे के लिए कुछ मवेशियों को ट्रक में भरकर अगले दिन छोड़ दिया जाता है। यह समस्या सिर्फ प्रशासनिक नहीं बल्कि सामाजिक भी है।

मुख्य सचिव को सुझावों पर पुनर्विचार का निर्देश

गांवों में चराई भूमि और गौशालाओं की बदहाल स्थिति, भूसे को जलाने से चारा संकट और किसानों की मजबूरी – ये सब हालात को और बिगाड़ रहे हैं। हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को सभी सुझावों पर पुनर्विचार करने और ठोस कदम उठाने के निर्देश दिए।

मौतों का सिलसिला जारी

रतनपुर हादसे के बाद मस्तूरी-जयरामनगर रोड पर ट्रेलर ने 14 मवेशियों को कुचला, जिनमें 10 की मौत हो गई। ड्राइवर नशे में था और पुलिस ने केस दर्ज किया। गतौरा में भी एक दिन पहले 8 मवेशी मारे गए थे। बोदरी क्षेत्र में मवेशियों के झुंड से ट्रैफिक जाम और किसानों की फसलें बर्बाद होने की शिकायतें भी सामने आई हैं।

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