बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में प्राचार्य बनने का सपना देख रहे सीनियर शिक्षकों के लिए खुशखबरी है। हाईकोर्ट ने प्रमोशन लिस्ट पर लगी रोक हटा दी है, जिससे अब राज्य सरकार प्राचार्य पद पर पोस्टिंग के आदेश जारी कर सकेगी।
यह फैसला हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच (जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस ए.के. प्रसाद) ने सुनाया। कोर्ट ने राज्य सरकार की प्रमोशन नीति को सही माना और इस मामले में दायर सभी याचिकाएं खारिज कर दी हैं।
दायर की गई थी याचिकाएं
दरअसल, प्राचार्य पदोन्नति फोरम और कुछ अन्य शिक्षकों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। उनका कहना था कि पहले से चल रहे कोर्ट के आदेशों के बावजूद कुछ शिक्षकों को प्रमोशन देकर ज्वाइन करा दिया गया, जो न्यायालय की अवमानना है।
इस पर कोर्ट ने 1 मई को प्रमोशन पर रोक लगाते हुए सभी नई नियुक्तियों को अमान्य करार दे दिया था। मामला काफी दिनों तक कोर्ट में चला। 11 जून से 16 जून तक लगातार सुनवाई हुई, जिसमें याचिकाकर्ताओं की ओर से दलील दी गई कि प्राचार्य पद के लिए बीएड डिग्री अनिवार्य होनी चाहिए और माध्यमिक स्कूलों के प्रधान पाठकों की वरिष्ठता का भी ध्यान रखा जाना चाहिए।
कोर्ट ने प्रमोशन लिस्ट पर रोक हटाई
कोर्ट ने राज्य सरकार की प्रमोशन नीति को सही बताया और कहा कि इसमें सभी वर्गों के हितों का ध्यान रखा गया है। कोर्ट ने प्रमोशन लिस्ट पर लगी रोक हटाते हुए सभी याचिकाएं खारिज कर दीं।
30 अप्रैल को जारी हुई थी सूची
अब सरकार को छूट मिल गई है कि वह 30 अप्रैल को जारी प्रमोशन लिस्ट के आधार पर जल्द से जल्द पोस्टिंग के आदेश जारी करे। इससे प्रदेश के करीब 3500 स्कूलों में प्राचार्य की नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है।