हाईकोर्ट ने माना – युवक ने बिना दबाव खुद किया था बिजली कनेक्शन का काम, किसानों पर नहीं बनती आपराधिक जिम्मेदारी

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक पुराने गैर-इरादतन हत्या के मामले में चार किसानों को बरी कर दिया है। यह मामला साल 2004 का है, जब एक युवक की बिजली करंट लगने से मौत हो गई थी। युवक को खेत में थ्रेशर मशीन में बिजली लाइन जोड़ने के लिए बुलाया गया था।

थ्रेशर मशीन में कनेक्शन जोड़ने बुलाया गया था 
सीतापुर थाना क्षेत्र के तेलईधार गांव के रहने वाले शमीम खान और तीन अन्य किसानों ने अपने खेत में गेहूं मिंजाई के लिए थ्रेशर मशीन लगवाई थी। मई 2004 में उन्होंने गांव के शाहजहां नामक युवक को मशीन में बिजली कनेक्शन जोड़ने बुलाया। दोपहर में शाहजहां बिजली खंभे पर चढ़ा, लेकिन करंट लगने से झुलसकर नीचे गिर गया। उसे पहले सीतापुर अस्पताल और फिर रायपुर ले जाया जा रहा था, लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गई।

ट्रायल कोर्ट और सत्र न्यायालय ने दी थी सजा
घटना के बाद पुलिस ने जांच कर चारों किसानों के खिलाफ IPC की धारा 304A (लापरवाही से मौत) के तहत अपराध दर्ज किया। साल 2008 में अंबिकापुर की न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी की अदालत ने उन्हें छह-छह महीने की सजा और 400-400 रुपये जुर्माने से दंडित किया। इसके खिलाफ किसानों ने सत्र न्यायालय में अपील की, लेकिन 2010 में वह भी खारिज हो गई।

हाईकोर्ट ने दी राहत
इसके बाद किसानों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। मई 2025 में हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए चारों को दोषमुक्त कर दिया।

कोर्ट की दलीलें
हाईकोर्ट ने माना कि मृतक शाहजहां कोई प्रशिक्षित इलेक्ट्रीशियन नहीं था और न ही उस पर कोई दबाव था कि वह यह कार्य करे। वह वयस्क था और बिजली के खतरे समझने में सक्षम था। इसके बावजूद उसने स्वेच्छा से बिजली पोल पर चढ़कर लाइन जोड़ने की कोशिश की, जो उसकी स्वयं की लापरवाही थी।

कोर्ट ने यह भी कहा कि इस घटना के गवाहों के बयान केवल सुनी-सुनाई बातों पर आधारित थे और मृतक के पास जरूरी तकनीकी योग्यता भी नहीं थी। इसलिए उसकी मौत के लिए किसानों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।

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