बिलासपुर। उसलापुर कर्मचारी गृह निर्माण सोसायटी के कर्मचारियों को कृष्ण जन्माष्टमी के दिन पटवारी, कथित जमीन मालिक और उनके साथ आये 15-20 लोगों ने तुरंत जगह खाली करने की चेतावनी दी है। वे गाली गलौच तथा मारपीट पर भी उतर आये। घबराये लोगों ने आज विधायक रश्मि सिंह ठाकुर के साथ कलेक्टोरेट में अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा। हालांकि एक कोर्ट आर्डर के चलते उन्हें फौरी राहत नहीं मिल पाई है।
सोसायटी के पूर्व प्रभारी राजेन्द्र प्रसाद वर्मा और उनके साथ दो दर्जन लोग आज दोपहर में कलेक्टोरेट पहुंचे। उनके साथ महिलाएं भी थीं। उन्होंने अपर कलेक्टर बीएस उइके को ज्ञापन सौंपकर बताया कि 24 अगस्त जन्माष्टमी के दिन शासकीय अवकाश होने के बावजूद पटवारी सूरज दुबे के साथ सिद्धिका मरकाम और करीब 15-20 लोग उनके पास पहुंचे और उन्होंने अपर कमिश्नमर के आदेश का हवाला देते हुए उनकी जमीन को तुरंत खाली करने कहा। शिकायत के अनुसार उन लोगों ने महिलाओं से दुर्व्यवहार किया, मारपीट कर सुला देने की धमकी दी। ज्ञापन में कहा गया कि इस घटना से कॉलोनी के लोगों में दहशत है। उन्होंने कॉलोनी वासियों की सुरक्षा तथा धमकाने वालों पर कार्रवाई करने की मांग की है। इसके अलावा उन्होंने बेदखली की कोई भी कार्रवाई अपर कमिश्नर के आदेश के आधार पर नहीं करने की मांग की है। ज्ञापन की प्रतिलिपि उन्होंने पुलिस अधीक्षक व सकरी थाने में भी जमा की है।
कॉलोनीवासियों का कहना है कि सन् 1989 में इस कॉलोनी के लिए जमीन खरीदी गई थी। इसमें आदिवासी वर्ग की जमीन भी थी, जिसके लिए नियमानुसार कलेक्टर से अनुमति मिली थी। इसके बाद नगर-निवेश विभाग सहित सभी विभागों से अनुमति प्राप्त कर स्वीकृत नक्शे के अनुसार मकान बनाये गये। यहां पर सन् 2002 से लोग रह रहे हैं। बाद में इसे आदिवासी वर्ग की जमीन की अवैध बिक्री का मामला बताया जाने लगा। इसमें धारा 170 (ख) जिसमें आदिवासियों की जमीन खरीदने से पहले कलेक्टर की अनुमति जरूरी है, का पालन नहीं किया गया, इस आधार पर एसडीएम और कलेक्टोरेट में केस दायर किया गया। शिकायतकर्ताओं के मुताबिक दोनों ही जगहों से आपत्ति खारिज कर दी गई। इसके बाद अचानक अपर कमिश्नर बिलासपुर ने इसे आदिवासी जमीन मानते हुए इसे गोविन्द सिंह मरकाम को लौटाने का आदेश एकपक्षीय जारी कर दिया। इसमें कॉलोनीवासियों को कोई नोटिस नहीं दी गई न ही उनके पक्ष में पहले पारित आदेशों पर विचार किया गया। अपर कमिश्नर के आदेश के विरुद्ध राजस्व न्यायालय में अपील लम्बित है इसके बावजूद जबरिया 18-20 साल से रह रहे लोगों को घर खाली करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है,जिसे कर्मचारियों ने अपनी गाढ़ी कमाई से खरीदा और बनाया है।
वर्मा सहित बाकी शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि दरअसल शहर के नजदीक आ जाने के कारण कुछ बिल्डरों ने इस जमीन पर कब्जा करने के लिए साजिश रची है। इसीलिए राजस्व अमले के साथ साठगांठ करके उन्हें यहां से जबरन हटाने का प्रयास किया जा रहा है और धमकी दी जा रही है।