नई दिल्ली। केंद्रीय आवासन एवं शहरी कार्य राज्यमंत्री और बिलासपुर सांसद तोखन साहू ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर उन्हें आतंकवाद के खिलाफ हालिया ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता पर बधाई दी। साहू ने इसे आतंकवाद के प्रति भारत की “शून्य सहिष्णुता” की नीति और मजबूत राष्ट्रीय संकल्प का उदाहरण बताया।

बैठक के दौरान साहू ने प्रधानमंत्री के साथ शहरी विकास मंत्रालय की योजनाओं की प्रगति, छत्तीसगढ़ की जमीनी स्थिति और विभिन्न स्थानीय मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने शहरी विस्तार की अनियंत्रित गति, भूमि अधिकारों की समस्याएं और योजनाओं के समन्वय को लेकर कई सुझाव भी रखे।

साहू ने बताया कि देश में निजी वाहनों की बढ़ती निर्भरता और बेतरतीब शहरी फैलाव गंभीर चुनौती बन चुके हैं। इसे रोकने के लिए उन्होंने जन-परिवहन आधारित विकास और मिश्रित-प्रयोजन योजना (जहां आवास, व्यापार और सार्वजनिक सेवाएं एक साथ हों) को बढ़ावा देने की बात कही। इससे शहरी भीड़ और प्रदूषण में कमी आने की संभावना जताई गई।

उन्होंने ‘सूर्य गृह मुफ्त बिजली योजना’ को प्रधानमंत्री आवास योजना से जोड़ने का भी सुझाव दिया, ताकि गरीबों को मुफ्त बिजली के साथ ऊर्जा दक्ष घर मिल सकें और सब्सिडी आधारित ऋणों तक उनकी पहुंच आसान हो।

साहू ने विशेष रूप से छत्तीसगढ़ और झारखंड जैसे राज्यों के उन ग्रामीण-शहरी सीमांत क्षेत्रों की बात उठाई, जहां लोग पीढ़ियों से रह रहे हैं लेकिन उन्हें वैध स्वामित्व नहीं मिला है। “बड़े झाड़ का जंगल” जैसे क्षेत्रों का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि ये बस्तियां जल, बिजली और शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। वन भूमि के दर्जे के कारण इन्हें योजनाओं में शामिल नहीं किया जाता।

उन्होंने हाल में वन अधिकार अधिनियम, 2006 में हुए संशोधनों का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि ऐसे निवासियों को वैध पट्टा दिलाने और अतिक्रमण की श्रेणी से बाहर निकालने के लिए प्रक्रिया सरल बनाई जाए। साथ ही, वन विभाग और शहरी निकायों के बीच बेहतर समन्वय का भी सुझाव दिया।

प्रधानमंत्री ने सभी सुझावों को सकारात्मक रूप से लिया और शहरी क्षेत्रों के समावेशी एवं सतत विकास में केंद्र की पूरी भागीदारी का आश्वासन दिया।

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