तीन माह के लिए हाई-कमीशन ने दी है परमिट, जिसकी आधी अवधि बीत चुकी
कुछ सामाजिक संगठनों की मदद से मानव तस्करी की शिकार बांग्लादेशी युवती को अपने देश वापस जाने की अनुमति तो मिल गई है, पर उसे अब तक बिलासपुर के नारी निकेतन से छुट्टी नहीं मिल पाई है। आशंका यह है कि सीमित समय के लिए मिली परमिट की वैधता अधिकारियों की लापरवाही से समाप्त न हो जाए।
इस युवती को पिछले साल रेलवे पुलिस ने एक दलाल मुर्शिदाबाद के संटू शेख से छुड़ाया था। उसे वह कोलकाता से किसी जगह बेचने के लिए ले जा रहा था। युवती को बांग्लादेश से तस्कर गिरोह के लोग भारत में अच्छी नौकरी दिलाने का लालच देकर लाए थे। उन्हें जगह-जगह बेचा गया, उसके साथ दुषकर्म भी किया गया। दलाल संटू शेख को तो गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया, पर युवती को उसके देश वापस भेजना कठिन हो गया था, क्योंकि उसके पास पासपोर्ट, वीजा जैसे जरूरी दस्तावेज नहीं थे। दलालों ने उससे ये दस्तावेज जब्त कर लिए थे। इस समय युवती को राजकिशोरनगर स्थित उज्ज्वला होम में रखा गया है।
मामले की जानकारी मिलने पीयूसीएल के अध्यक्ष लाखन सिंह, अधिवक्ता प्रियंका शुक्ला, निकिता अग्रवाल आदि ने उसे बांग्लादेश वापस भेजने के लगातार प्रयास किया। उनकी फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट के बाद भारत स्थित बांग्लादेश उच्चायुक्त से युवती के लिए ट्रांजिट परमिट जारी किया गया है, जो 22 मई की तारीख से तीन माह के लिए वैध है।
पीयूसीएल ने कुछ दिन पहले इस युवती को वापस भेजने के मामले में हुई कार्रवाई की जानकारी लेने का प्रयास किया। उन्होंने महिला बाल विकास विभाग के परियोजना अधिकारी से कहा कि हम वापस जाने के पहले उस युवती से मिलना चाहते हैं, पर उन्हें अनुमति नहीं दी गई।
अब पीयूसीएल ने एक आवेदन महिला बाल विकास अधिकारी को देकर युवती से मिलने की अनुमति मांगी है। परमिट अवधि के तीन माह में से डेढ़ माह बीत चुके हैं, पर अब तक वह उज्ज्वला होम में ही है। अधिवक्ता प्रियंका शुक्ला का कहना है कि युवती को जल्दी वापस भेजने में अधिकारी दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। उसे वापस बांग्लादेश भेजने की कार्रवाई शीघ्र करनी चाहिए वरना परमिट की वैधता समाप्त हो जाएगी। इस सम्बन्ध में पीयूसीएल ने परियोजना अधिकारी को एक ज्ञापन भी सौंपा।