बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की सख्ती के बाद बिलासपुर कलेक्टर अवनीश शरण ने डीपूपारा में संचालित घरौंदा सेंटर को तिफरा फल सब्जी मंडी के पास आश्रय दत्त कर्मशाला में स्थानांतरित कर दिया है। यह प्रदेश का पहला घरौंदा सेंटर है जिसे दूसरी जगह स्थानांतरित किया गया है। कोपलवाणी द्वारा दायर जनहित याचिका में प्रदेश में संचालित सेंटरों की बदहाली और वहां रह रहे महिलाओं व बच्चों की सुरक्षा पर सवाल उठाए गए थे।

जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान, मनेंद्रगढ़ कलेक्टर ने सेंटर के सामने संचालित शराब दुकान को हटाने के बजाय सेंटर को ही स्थानांतरित करने का सुझाव दिया था, जिस पर चीफ जस्टिस ने नाराजगी जताई और पूछा था कि क्या कलेक्टर अपने बंगले में घरौंदा सेंटर को शिफ्ट करने वाले हैं।

हाई कोर्ट के निर्देश पर बिलासपुर में एक सेंटर को अच्छी जगह पर स्थानांतरित कर दिया गया है, जहां मानसिक विकलांगता से ग्रसित 25 महिलाओं की देखभाल की जाती है। कलेक्टर ने उद्घाटन के बाद नए भवन का निरीक्षण किया और व्यवस्थाओं का जायजा लिया।

जनहित याचिका के बाद अब सुधर रही व्यवस्था: प्रदेश के घरौंदा केंद्रों में भारी अव्यवस्था और आठ बच्चों की मौत की जांच के संबंध में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने प्रदेशभर के सेंटरों की रिपोर्ट प्रस्तुत करने कोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति की थी। नाराज चीफ जस्टिस ने कहा था कि सरकारी धन का सही उपयोग नहीं हो रहा है और जरुरतमंदों तक योजनाएं नहीं पहुंच पा रही हैं।

हाई कोर्ट के निर्देश पर दो विभागों के सचिवों ने शपथ पत्र प्रस्तुत कर जानकारी दी। इसके आधार पर हाई कोर्ट ने 11 वकीलों को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया है। राज्य शासन ने बताया था कि समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत निराश्रित बच्चों के लिए काम कर रही सामाजिक संस्थाओं को अनुदान दिया जाता है और उनके लिए घरौंदा योजना चलाई जा रही है।

हाई कोर्ट ने विभिन्न जिलों के घरौंदा सेंटरों के निरीक्षण के लिए कोर्ट कमिश्नरों की नियुक्ति की है। बिलासपुर में पदस्थ कर्मचारियों की स्थिति की जांच में गड़बड़ियां पाई गईं, जैसे कि एक कर्मचारी ने रजिस्टर में दो बार हस्ताक्षर किया था और गलती सामने आने पर व्हाइटनर का इस्तेमाल कर दस्तावेज में फेरबदल किया गया था। इसी तरह की अनियमितताएं रायपुर और अन्य जिलों में भी पाई गईं।

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