शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे पार्टी (शिवसेना-यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने मुंबई की दशहरा रैली में बीजेपी पर जमकर हमला बोलते हुए कई महत्वपूर्ण सवाल उठाए। उन्होंने अपने भाषण में बीजेपी को “गोमूत्र वाली पार्टी” कहते हुए उस पर शिवसेना को खत्म करने की कोशिश करने का आरोप लगाया।
ठाकरे ने कहा कि बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी, लेकिन शिवसैनिकों के समर्पण और समर्थन के कारण वे मजबूती से खड़े हैं। उन्होंने केंद्र सरकार और एजेंसियों पर भी निशाना साधते हुए कहा कि यह सारी कोशिशें उनके खिलाफ थीं, लेकिन उनके शिवसैनिक अडिग रहे और उन्होंने बीजेपी को मुंहतोड़ जवाब देने का वादा किया।
एकनाथ शिंदे पर भी प्रहार
अपने भाषण में ठाकरे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर भी तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि शिंदे ने हाल ही में अखबार में विज्ञापन दिया, जिसमें ‘हिंदुत्व हमारा श्वास है, मराठी हमारा प्राण है’ लिखा था। ठाकरे ने इसे एक ढोंग बताते हुए शिंदे पर तंज कसा और कहा, “हिंदुत्व हमारा श्वास है, मराठी हमारा प्राण है, लेकिन अडानी हमारी जान और हम सेठ जी के श्वान हैं।” ठाकरे ने यह भी स्पष्ट किया कि वह श्वान प्रेमी हैं और किसी कुत्ते का अपमान नहीं करना चाहते, लेकिन शिंदे जैसे लोग उन्हें लकड़बग्घे लगते हैं, जो बाघ की खाल ओढ़े हुए हैं।
मोदी सरकार और हिंदुत्व पर सवाल
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए ठाकरे ने मोदी सरकार पर सीधे सवाल खड़े किए। भागवत ने हिंदुओं की सुरक्षा के लिए एकजुटता की बात की थी, जिस पर ठाकरे ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने पूछा, “जब पिछले 10 साल से मोदी सरकार केंद्र में है, तो फिर हिंदुओं को किससे खतरा है? अगर हिंदुओं को ही खतरा है, तो मोदी किस काम के?”
आरएसएस को हाईब्रिड भाजपा पसंद है?
ठाकरे ने आरएसएस को आत्मचिंतन करने की सलाह दी और कहा कि संघ को देखना चाहिए कि क्या उन्हें आज की ‘हाइब्रिड भाजपा’ स्वीकार्य है। उन्होंने भाजपा पर भी जमकर निशाना साधते हुए कहा कि अब भाजपा को खुद को भारतीय कहने में शर्म आनी चाहिए। उन्होंने भाजपा की तुलना महाभारत के कौरवों से की और उसे अहंकारी करार दिया। ठाकरे ने यह भी वादा किया कि अगर वह सत्ता में आए तो राज्य के हर जिले में छत्रपति शिवाजी महाराज के मंदिर बनाए जाएंगे।
उद्धव ठाकरे ने 2019 में भाजपा से अपने अलग होने के कारणों पर भी बात की। उन्होंने कहा कि उन्हें भाजपा के हिंदुत्व के संस्करण पर विश्वास नहीं था, लेकिन वह हमेशा अपने पिता बालासाहेब ठाकरे की विचारधारा के प्रति निष्ठावान रहे हैं।