बिलासपुर। बिलासपुर लोकसभा सांसद और केंद्रीय आवासन एवं शहरी कार्य राज्य मंत्री तोखन साहू एक बार फिर छत्तीसगढ़ के जनजातीय समाज के अधिकारों की पैरवी में सक्रिय हो गए हैं। उन्होंने दिल्ली में केंद्रीय मंत्री दुर्गादास उइके, जुएल उरांव, डॉ. वीरेंद्र कुमार और डॉ. मनसुख मांडविया से मुलाकात कर आदिवासी समुदायों को उनका संवैधानिक हक दिलाने के लिए गंभीर बातचीत की।
साहू ने बताया कि जशपुर, सूरजपुर, बलरामपुर और सरगुजा जिलों के दूरदराज गांवों में रहने वाले डिहारी कोरवा, बघेल क्षत्री, संसारी उरांव, खेरवार जैसे समुदायों को पहले अनुसूचित जनजाति और डोमरा, चिक समुदाय को अनुसूचित जाति के तौर पर मान्यता दी गई थी। लेकिन जातियों के नामों में मामूली गलतियों की वजह से ये समुदाय बीते करीब 20 सालों से आरक्षण और दूसरी सरकारी योजनाओं से वंचित रह गए हैं।
इन कारणों से ये समाज आज भी शिक्षा, रोजगार और सामाजिक विकास के मामले में काफी पीछे हैं।
तोखन साहू ने बताया कि जनजातीय अनुसंधान संस्थान (TRI) इन जातियों के पक्ष में सर्वे कर चुका है और राज्य सरकार ने भी इनकी सिफारिश केंद्र को भेज दी है। फिलहाल यह प्रस्ताव सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय और भारत के महापंजीयक (RGI) के पास प्रक्रियाधीन है।
साहू ने केंद्रीय मंत्रियों से निवेदन किया कि इन उपेक्षित समुदायों को फिर से अनुसूचित जाति/जनजाति की मान्यता दिलवाने के लिए गृह मंत्रालय से जरूरी मंजूरी दिलाई जाए। उन्होंने कहा कि इससे इन समुदायों को न्याय, विकास और समान अधिकार मिल सकेंगे।