नई दिल्ली। भारत की यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) सर्विस में सोमवार शाम 6 बजे के बाद व्यापक तकनीकी खराबी देखी गई, जिससे देशभर में डिजिटल पेमेंट प्रभावित हुए। पेटीएम, फोनपे, गूगल पे और अन्य प्रमुख यूपीआई ऐप्स पर लेनदेन विफल होने की शिकायतें सामने आईं। यह इस साल का सबसे लंबा यूपीआई आउटेज बताया जा रहा है, जिसने व्यक्तियों और व्यवसायों को प्रभावित किया।
तकनीकी खराबी का कारण
नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) ने इस रुकावट को “आंतरायिक तकनीकी समस्याओं” के कारण बताया। डाउनडिटेक्टर के अनुसार, रात 8:30 बजे तक 3,000 से अधिक शिकायतें दर्ज की गईं, जिनमें से 70% पेमेंट विफलता और 20% फंड ट्रांसफर से संबंधित थीं। विशेषज्ञों का कहना है कि बैंकों द्वारा अत्यधिक “चेक ट्रांजैक्शन” एपीआई अनुरोधों के कारण सिस्टम पर दबाव पड़ा, जिससे यह ठप हो गया।
यूजर्स की परेशानी
सोशल मीडिया पर #UPIDown ट्रेंड करने लगा, जहां यूजर्स ने अपनी निराशा व्यक्त की। दिल्ली की एक महिला ने बताया कि अस्पताल में पेमेंट के लिए लंबी कतार लग गई। लखनऊ के एक रेस्तरां मालिक ने कहा कि 30 ग्राहकों को पेमेंट के लिए इंतजार करना पड़ा, जिससे अराजकता फैली। छोटे व्यापारियों और रिटेल विक्रेताओं को सबसे अधिक नुकसान हुआ, क्योंकि उनके पास वैकल्पिक पेमेंट सिस्टम नहीं थे।
बैंकों और ऐप्स पर प्रभाव
एचडीएफसी बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, कोटक महिंद्रा बैंक और अन्य प्रमुख बैंकों के ग्राहकों ने भी ऑनलाइन बैंकिंग और यूपीआई लेनदेन में समस्याओं की शिकायत की। गूगल पे पर 500 से अधिक, पेटीएम पर 100 से अधिक और फोनपे पर 300 से अधिक शिकायतें दर्ज की गईं। एनपीसीआई ने कहा कि सिस्टम को रात 10 बजे तक स्थिर कर लिया गया, लेकिन कुछ यूजर्स को देर रात तक परेशानी का सामना करना पड़ा।
विशेषज्ञों की चिंता
उद्योग विशेषज्ञों ने यूपीआई की स्केलेबिलिटी पर सवाल उठाए हैं। मार्च 2025 में 18.3 बिलियन लेनदेन के साथ यूपीआई भारत में 80% डिजिटल पेमेंट्स का हिस्सा है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि सिस्टम की मजबूती के लिए वैकल्पिक बैकेंड प्रोसेसिंग और रियल-टाइम फ्रॉड मॉनिटरिंग जरूरी है। कुछ ने सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) को एक विश्वसनीय विकल्प बताया।
एनपीसीआई का बयान
एनपीसीआई ने सोशल मीडिया पर कहा, “हम तकनीकी समस्याओं को हल करने में जुटे हैं और असुविधा के लिए खेद व्यक्त करते हैं।” संगठन ने बैंकों को “चेक ट्रांजैक्शन” अनुरोधों को सीमित करने की सलाह दी है और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सिस्टम अपग्रेड की योजना बनाई है।
यूजर्स के लिए सलाह
- 48 घंटे तक इंतजार करें: लेनदेन की स्थिति स्वतः अपडेट हो सकती है।
- यूपीआई ऐप चेक करें: ट्रांजैक्शन हिस्ट्री में स्थिति देखें।
- बैंक से संपर्क करें: 5-7 कार्यदिवसों तक रिफंड या अपडेट न मिलने पर बैंक से संपर्क करें।
- बार-बार प्रयास न करें: इससे फ्रॉड प्रिवेंशन सिस्टम ट्रिगर हो सकता है।यह आउटेज भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए एक चेतावनी है, जो यूपीआई की विश्वसनीयता और बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
स्रोत: इंडिया टुडे, हिंदुस्तान टाइम्स, द टाइम्स ऑफ इंडिया, द फाइनेंशियल एक्सप्रेस, मनीकंट्रोल।