बिलासपुर. हाईकोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य शासन से पूछा है कि एंटी करप्शन ब्यूरो की छापामार कार्रवाई के बाद आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोप में प्रदेश के 90 अफसरों के खिलाफ जुर्म दर्ज किया है। अब तक इन अफसरों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई। एक सप्ताह के भीतर अंडरटेकिंग देने के निर्देश दिए है। हाईकोर्ट ने एक पत्र में स्वतः संज्ञान में लेते हुए पत्र याचिका के रूप में स्वीकार किया है। रायपुर निवासी एक व्यक्ति ने प्रदेश के लगभग 90 प्रमुख अफसरों के खिलाफ एसीबी में लंबे समय से प्रकरण लंबित होने और कार्रवाई ना होने पर हाईकोर्ट को पत्र लिखा था। इसमें जानकारी दी थी कि भ्रष्टाचार के आरोपित अफसरों पर राज्य शासन की तरफ से आज तक कार्रवाई नहीं की गई है। इसके चलते वे आज भी मनचाहे विभागों में पदस्थ है और जो चाहे वे कर रहे हैं। पत्र में इस बात की भी आशंका जाहिर की है कि कुछ अफसर बेहद प्रभावशाली हैं। सत्ता में दखल रखने के कारण अपने उपर लगे आरोपों को प्रभावित भी कर सकते हैं। पदों पर जमे होने के कारण दस्तावेजों को भी गायब करने की आशंका जताई है। आरोपित होने के बाद भी राज्य शासन द्वारा मिलने वाली सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं। पत्र में कही गई बातों को गंभीरता से लेते हुए हाईकोर्ट ने रजिस्टार जनरल को निर्देशित कर पत्र याचिका के रूप में पीआईएल पंजीकृत करने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान में लेते हुए इसे जनहित याचिका के रूप में स्वीकार कर सुनवाई प्रारंभ की है। गुरूवार को इस मामले की सुनवाई कार्यवाहक चीफ जस्टिस प्रशांत मिश्रा व जस्टिस पीपी साहू की युगलपीठ में हुई। प्रकरण की सुनवाई करते हुए युगलपीठ ने राज्य शासन की ओर से पैरवी कर रहे विधि अधिकारियों से पूछा कि आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई में विलंब क्यों हो रहा है। राज्य शासन को एक सप्ताह के भीतर अंडरटेकिंग देने के निर्देश दिए हैं। आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने वाले अधिकारियों के खिलाफ एसीवी द्वारा बनाए गए प्रकरण और दायर आरोप पत्र सहित संपूर्ण दस्तावेज पेश करने के निर्देश युगलपीठ ने राज्य शासन को दिए हैं।