बिलासपुर। प्रत्येक वर्ष 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओरसेआधुनिक नर्सिंग की संस्थापक फ़्लोरेंस नाइटेंगल के जन्म के 200 साल पूरे होने पर 2020 को ‘नर्स और दाई के अंतरराष्ट्रीय वर्ष’ के रूप में मनाया जा रहा है।
यह उन स्वास्थ्यकर्मियों को सम्मान देने का एक अवसर है जो दुनिया भर में लोगों को विभिन्न आवश्यक सेवाएं प्रदान करते हैं। बीमारियों की रोकथाम, निदान और इलाज के साथ-साथ प्रसव के दौरान देखभाल करने जैसी विशेषज्ञ सेवाओं के अलावा, नर्स और दाईयां मानवीय आपात स्थिति और संघर्ष में फंसे लोगों को भी सेवाएं प्रदान करती हैं।
नर्सें और दाईयां (ए एन एम) हर स्वास्थ्य प्रणाली की रीढ़ होती हैं। मरीजों को उत्तम सेवा प्रदान कर उन्हें स्वस्थ बनाने में नर्सों की भूमिका प्रशंसनीय होती है।
मंजू दिनकर ऐसी ही एक स्टॉफ नर्स है जो बिलासपुर जिला अस्पताल में कार्यरत है और आजकल कोरोना वायरस की इस महामारी से लड़ते हुए मरीजों की सेवा में ड्यूटी दे रही हैं। बीएससी नर्सिंग की पढाई कर तीन साल से अस्पताल में सेवा दे रही मंजू दिनकर बताती हैं कि कोरोना वायरस के स्क्रीनिंग कार्य में प्रति दिन 30 से 40 लोगों की स्वास्थ्य जांच उसे करनी पड़ रही है। जिला अस्पताल में रोजाना प्रवासी मजदूरों के स्वास्थ्य की जांच कर स्क्रीनिंग मशीन से शरीर का तापमान लिया जा रहाहै। कोरोना वायरस के संक्रमण के संभावित लक्षण जैसे सर्दी, खांसी, बुखार, सांस लेने में तकलीफ के लक्षण की जांच की जाती है।
डयूटी के दौरान वे कैप, मास्क, एप्रान, गल्बस लगाकर एक मीटर की दूरी से मरीजों की जांच करती हैं। इन दिनों अस्पनताल में सिर्फ सर्दी, खांसी के मरीजों की ही ओपीडी में जांच हो रही है। ओपीडी से लेकर आईपीडी और ट्रामा में भी सेवा देने तत्पर रहती हैं।
मंजू बताती हैं, कोरोना वायरस की ओर से अतिरिक्त सुरक्षा लेना जरुरी है। ड़यूटी से घर जाने के बाद कपड़े बदलना और नहाने के बाद ही घर में दूसरा काम शुरु करना उनकी दिनचर्या में शामिल है। वहीं वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए बार-बार हाथ को सेनेटाइजर से साफ करती रहती हैं। उन्हों ने कहा मरीजों की सेवा करना उनका फर्ज है।