अगली सुनवाई सितंबर में, अवैध खनन से बने गड्ढों से हुई मौतों पर भी चिंता
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य की 19 नदियों, खासकर अरपा नदी की हालत पर गंभीर रुख अपनाया है। अदालत ने सरकार को निर्देश दिया है कि नदियों के उद्गम स्थल की पहचान कर उसे राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज किया जाए और उनके संरक्षण के लिए एक अलग समिति बनाई जाए।
इसके साथ ही, अवैध खनन से नदी में बने गहरे गड्ढों और उनमें डूबकर हुई मौतों पर भी अदालत ने खुद संज्ञान लिया है। कोर्ट ने सरकार से इस संबंध में हलफनामा देकर पूरी जानकारी देने को कहा है।
अलग-अलग याचिकाओं से उठा मामला
इस मामले में वकील अरविंद शुक्ला और रामनिवास तिवारी ने जनहित याचिकाएं दायर की थीं। उन्होंने अरपा नदी के उद्गम की रक्षा, उसमें हो रहे प्रदूषण को रोकने और अवैध खनन पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
साथ ही अरपा अर्पण महा अभियान समिति ने भी एक याचिका दायर कर आरोप लगाया है कि सरकार के प्रतिबंध के बावजूद अरपा नदी में कई जगह खुलेआम अवैध खनन हो रहा है।
मौतों के गड्ढों पर अदालत ने जताई चिंता
तीन साल पहले अरपा नदी के सेंदरी इलाके में तीन बच्चियां अवैध खनन से बने गड्ढे में डूब गई थीं। इस हादसे का जिक्र कोर्ट में हुआ, जिसमें बताया गया कि बारिश में खनन से बना गहरा गड्ढा मौत की वजह बना। कोर्ट इस मामले की भी सुनवाई कर रहा है।
सरकार ने मानी बात – सिर्फ अरपा के लिए बनी है समिति
चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। इस दौरान सरकार ने माना कि केवल अरपा नदी के लिए एक समिति बनाई गई है, जबकि अन्य नदियों के लिए कोई समिति नहीं है। इस पर कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि सभी नदियों के उद्गम को रिकॉर्ड में दर्ज किया जाए और संरक्षण के लिए जरूरी कदम उठाए जाएं।
नदियों के उद्गम को ‘नाला’ बताया, कोर्ट नाराज़
याचिका में यह बात भी उठी कि कई नदियों के उद्गम स्थलों को सरकारी रिकॉर्ड में ‘नाला’ (ड्रेन) बताया गया है, जो गलत और आपत्तिजनक है। हाईकोर्ट ने इस पर नाराज़गी जताई और कहा कि ऐसी गंभीर गलती तुरंत सुधारी जाए।
2.6 करोड़ के प्रस्ताव को कोर्ट ने खारिज किया
सुनवाई के दौरान बताया गया कि गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (GPM) जिले के कलेक्टर ने अरपा नदी के उद्गम की पहचान के लिए लेडर सर्वे का प्रस्ताव भेजा था, जिसकी लागत करीब 2 करोड़ 60 लाख रुपये थी। इस पर कोर्ट ने कहा कि इतनी बड़ी रकम खर्च करने के बजाय व्यावहारिक और स्थानीय उपाय खोजे जाएं।
अगली सुनवाई सितंबर में
हाईकोर्ट ने सरकार से सभी जरूरी सूचनाएं और हलफनामे पेश करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई सितंबर माह में होगी।