लखनऊ। योगी आदित्यनाथ की सरकार ने महामारी के दौरान सुरक्षा प्रोटोकॉल के साथ दुर्गा पूजा मनाने की अनुमति आखिरकार दे दी है। दुर्गा पूजा पंडाल अब खुले में धार्मिक या सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित कर सकते हैं, बशर्ते उन्हें कोविड के सभी दिशा-निदेशरें का पालन करना होगा, जैसे सामाजिक दूरी का पालन करना और मास्क पहनना अनिवार्य होगा। किसी सीमित स्थान में होने वाले कार्यक्रमों में लोगों की संख्या पर प्रतिबंध भी लगाया गया है। इसके मद्देनजर हॉल की क्षमता के अनुसार मात्र 50 प्रतिशत और अधिकतम 200 लोगों को शामिल होने की अनुमति दी जाएगी। नए दिशानिर्देश 15 अक्टूबर से लागू होंगे, वहीं नवरात्रि 17 अक्टूबर से शुरू हो रहे हैं। सरकार के इस फैसले से दुर्गा पूजा समितियों में खुशी की लहर दौड़ गई है, वह पहले से ही त्योहार की तैयारियों में जुट गई हैं।जानकीपुरम इलाके में एक दुर्गा पूजा समिति के सदस्य आनंद बनर्जी ने कहा, हमने गुरुवार की पूरी रात दुर्गा पूजा समारोहों की योजना तैयार करने में बिताई, क्योंकि हमारे पास 15 दिनों से भी कम समय है। हम दुर्गा पूजा समारोह आयोजित करने की अनुमति देने के लिए मुख्यमंत्री के आभारी हैं। गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने मुख्यमंत्री से राज्य में दुर्गा पूजा पंडालों को पूजा आयोजित करने की अनुमति देने का आग्रह किया था।समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्य विधानसभा में विपक्षी नेता राम गोविंद चौधरी ने कहा था कि दुर्गा पूजा पंडालों पर प्रतिबंध लोगों के धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार पर सीधा हमला था। कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद ने कहा था कि भाजपा धर्म को लेकर स्वतंत्रता की बात करते समय चयनात्मक नहीं हो सकती है और वे लोगों के बीच अंतर करने के लिए महामारी का इस्तेमाल नहीं कर सकती है। उन्होंने कहा, यदि रामलीला को प्रतिबंधित दर्शकों के साथ अनुमति दी जा सकती है, तो दुर्गा पूजा के लिए क्यों नहीं?इस बीच, सिनेमा हॉल और मल्टीप्लेक्स को भी 50 प्रतिशत क्षमता के साथ 15 अक्टूबर से फिर से खोलने की अनुमति मिल गई है। नए अनलॉक चरण के तहत नियमों की सूची में पूरी तरह से केंद्र के दिशानिदेशरें का पालन किया गया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने गुरुवार रात कहा कि सभी स्कूल और कोचिंग सेंटर 15 अक्टूबर से चरणबद्ध तरीके से कक्षाएं शुरू कर सकते हैं।हालांकि, इस दौरान ऑनलाइन शिक्षा को न सिर्फ प्रोत्साहित किया जाएगा, बल्कि उसे प्राथमिकता भी दी जाएगी। यहां तक कि अगर कक्षाएं शारीरिक रूप से आयोजित कराई जाती हैं, तो जो छात्र इसमें वर्चुअल तरीके से भाग लेना चाहता है, उन्हे ऐसा करने की अनुमति दी जाएगी। किसी भी बच्चे को माता-पिता की सहमति के बिना शारीरिक रूप से कक्षाओं में भाग लेने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है। जो स्कूल शारीरिक तौर पर कक्षाएं आयोजित करने का निर्णय लेंगे उनको शिक्षा विभाग द्वारा जारी एसओपी का पालन करना होगा।सरकार द्वारा वित्त पोषित विश्वविद्यालय और उच्च शिक्षण संस्थान गृह मंत्रालय के परामर्श से उच्च शिक्षा विभाग द्वारा लिए गए निर्णय के आधार पर खुलेंगे। निजी विश्वविद्यालय और संस्थान पीएचडी और स्नातकोत्तर छात्रों को अनुमति दे सकते हैं, जिन्हें परिसर में जाने के लिए प्रयोगशालाओं की आवश्यकता होती है।