प्रबंधन ने कहा-फर्जी फार्म भरवाकर युवाओं को गुमराह किया जा रहा, नौकरी देने का कोई प्रावधान नहीं
बिलासपुर। एसईसीएल में अप्रेंटिस युवाओं ने रोजगार की मांग पर एसईसीएल के गेट पर जमकर प्रदर्शन किया और कर्मचारियों को भीतर जाने से रोक दिया गया। उनका कहना है कि एसईसीएल प्रबंधन ने उन्हें आउटसोर्सिंग में रखने का आश्वासन दिया था। दूसरी ओर एसईसीएल ने कहा है कि अप्रेंटिस युवाओं को नौकरी देने का कोई प्रावधान नहीं है। फर्जी फॉर्म भरवाकर युवाओं को गुमराह किया जा रहा है।
जून महीने से एसईसीएल मुख्यालय के गेट के सामने आंदोलन कर रहे युवाओं ने बुधवार को गेट के सामने प्रदर्शन किया और कर्मचारियों, अधिकारियों को भीतर जाने से रोका। यह प्रदर्शन एनएसयूआई के नेता लक्की मिश्रा और अन्य लोग कर रहे थे। इनका कहना है कि एसईसीएल के डायरेक्टर पर्सनल ने उन्हें वार्ता करके आउटसोर्सिंग में नौकरी देने का आश्वासन दिया है। युवाओं ने उन्हें सूची भी उपलब्ध कराई है पर नौकरी नहीं दी जा रही है।
दूसरी तरफ एसईसीएल प्रबंधन का कहना है कि अप्रेंटिस को नौकरी दिए जाने का कोल इंडिया में कोई प्रावधान नहीं है। इस बारे में संसद में भी मंत्री ने स्पष्ट किया है। जो युवा प्रदर्शन कर रहे हैं उन्हें भी कई बार की वार्ता में यह बात बताई जा चुकी है। स्वयं सीएमडी ने उन्हें स्पष्ट किया है। इसके बावजूद युवाओं को गुमराह किया जा रहा है। प्रशिक्षण के दौरान उन्हें जो भुगतान किया जाना था, सभी किए जा चुके हैं। जनसंपर्क अधिकारी सनिश चंद्र ने कहा कि पूर्व आईटीआई प्रशिक्षुओं की हड़ताल के कारण कामकाज में बाधा पहुंची। बुधवार को दिनभर 50 से 60 हजार टन कोयले की आपूर्ति के ऑर्डर जारी होने वाले थे, जो नहीं हो पाए। दूर दराज के खदानों के श्रमिकों के इलाज के लिए भी आर्डर नहीं निकल पाए। टेंडर, डिस्पैच व अवार्ड का काम ठप रहा। कुछ की डेडलाइन आज थी, पर गेट जाम कर देने से अधिकारी कर्मचारी व संबंधित व्यक्ति भीतर प्रवेश नहीं कर सके। इसके अलावा प्रशिक्षुओं को नियमित करने की मांग पर सेंट्रल के डिप्टी चीफ लेबर के यहां रायपुर में सुनवाई चल रही है। ऐसे में आंदोलन का औचित्य नहीं है।
एसईसीएल का कहना है कि युवाओं से ऋषि पटेल तथा कुछ अन्य युवाओं ने फॉर्म बी भरवाया है जो शासकीय दस्तावेज है। इसे कोई भी निजी व्यक्ति नहीं भरवा सकता है। ऐसा करके युवाओं को गुमराह किया जा रहा है। इसे भरवाने के लिए सहयोग राशि भी ली गई है। ऐसा करने के लिए एसईसीएल ने उन्हें नहीं कहा है। इसके पहले भी 5 अगस्त को एसईसीएल का घेराव इन प्रदर्शनकारियों ने किया था और अधिकारी कर्मचारियों को दफ्तर नहीं जाने दिया था। मुख्यालय का संचालन ठप होने से कोयले का उत्पादन और डिस्पैच प्रभावित होने की आशंका है।