1883 टीमों ने किया था जिले में सर्वे
बिलासपुर। जिले में चर्म रोग निदान एवं उपचार पखवाड़े में सर्विलेंस टीम द्वारा ज़िले में कुष्ठ रोग के 74 केस मिले हैं। इसमें से एलसीडीसी के 56 एवं रूटीन केस 18 मिले हैं। मितानिन एवं कम्युनिटी वॉलिंटियर को जो भी केस मिले है उन्हें पास के स्वास्थ्य केन्द्रों पर रजिस्टर करके उनका इलाज निशुल्क शुरू किया गया है ।
जिले के 18 लाख आबादी में सर्वेक्षण के लिए 1883 सर्विलेंस टीम का गठन किया गया था जिसमें एक मितानिन एवं एक कम्युनिटी वॉलिंटियर को रखा गया था। इन्होंने घर घर जाकर रोगियों को चिन्हित किया। जगह जगह शिविर भी लगाये गए थे।
कुष्ठ रोग उन्मूलन कार्यक्रम की नोडल अधिकारी डॉ. गायत्री बांधे ने बताया ज़िले में चर्म रोग निदान एवं उपचार शिविर के माध्यम से कुल 74 केस मिले हैं जिसमें से सबसे ज्यादा मस्तूरी में 13 और सबसे कम गौरेला में दो कुष्ठ रोगी मिले। शहरी क्षेत्रों में 5 बिल्हा में 9, कोटा में 5, मरवाही में 6, पेंड्रा में 6 और तखतपुर में 10 कुष्ठ रोगी मिले हैं| शहरी क्षेत्रों में विशेष रूप से स्लम एरिया में सघन रूप से इस कार्यक्रम को चलाया गया ।
डॉ. बांधे ने कहा कुष्ठ छुआछूत की बीमारी नहीं है। यह संक्रामक रोग भी नहीं है। प्रतिरोधक क्षमता नहीं होने पर ही माइक्रो बैक्टेरियम लेप्रो से ग्रसित लोग कुष्ठ रोग के शिकार होते हैं। दो प्रकार के मरीज पाए जाते हैं। एक से तीन दाग होने पर 6 माह की दवा दी जाती है। तीन से ज्यादा दाग होने पर एमडीटी की खुराक 12 माह तक दी जाती है। पहली खुराक में ही बीमारी की संक्रमण क्षमता समाप्त हो जाती है। समय के पहले ही दवा की खुराक लेने से शरीर में किसी भी प्रकार की विकृति नहीं आती है। यह एक गम्भीर बीमारी है जिस को साइलेंट डिज़ीज़ भी कहा जाता है। इस रोग में रोगी को किसी भी तरह के दर्द नहीं होता है। इस लिए लोग पहले से इस बीमारी के प्रति सचेत नहीं रहते है। लोग डॉक्टर के पास तब जाते हैं जब नसें प्रभावित होने लगती है जिससे शरीर विकलांगता की श्रेणी में आ जाता है।
जागरुकता अभियान के तहत लोगों को समझाया जाता है यह रोग किसी भी तरह पूर्व जन्म के पापों का कारण नहीं है। सभी सरकारी स्वास्थ केन्द्रों में कुष्ठ का उपचार निशुल्क किया जाता है|