परिवहन व भंडारण के नियमों की जानकारी देने कार्यशाला में अधिकारियों ने बताया
बिलासपुर, 9 फरवरी। मंथन सभाकक्ष में पर्यावरण स्वीकृति, खान सुरक्षा के प्रावधानों का पालन तथा खनिज के परिवहन के सम्बन्ध में दो दिवसीय कार्यशाला रखी गई। समापन दिवस पर कार्यशाला में आर पी वासुदेव, वैज्ञानिक, पर्यावरण संरक्षण मण्डल बिलासपुर ने वाशरी मे कोयला लोडिंग या अनलोडिंग तथा कोयला की धुलाई के समय पानी छिड़काव की व्यवस्था आवश्यक रूप से करने कहा। जिन कोयला अनुज्ञप्ति धारियों का काम बड़ा है या जो वाशरी संचालक भी हैं उन्हें वाहन प्रवेश मार्ग मे ही एक गढ्ढा नुमा संरचना बना कर उसमे पानी भर कर रखना चाहिए जिससे कोयला परिवहन कर रहे वाहनों के टायर मे चिपका कोयला पानी से रुक जाए। परिवहन करने के पहले कोयला को पूरी तरह से ढक कर परिवहन करने कहा गया। ग्रीन नेट से नहीं बल्कि तिरपाल ढक कर ही परिवहन किया जाना आवश्यक है। भण्डारण क्षेत्र मे पानी छिड़काव की व्यवस्था की जाए।
परिवहन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि खनिज ओवरलोड करके परिवहन करने से खनिज मार्ग में गिरता है। तिरपाल नहीं ढकने से डस्ट उड़ता भी है, इसलिए ओवरलोड ना करें। उन्होंने यह भी बताया कि ज्यादातर खनिज वाहन काफी पुराने होते हैं। उनका फिटनेस सर्टिफिकेट भी नहीं लिया जाता। ये ज्यादा धुंआ छोड़ते हैं। खनिज परिवहन मे लगे सभी वाहनों का फिटनेस सर्टिफिकेट अवश्य प्राप्त करें। वाहनों मे टेल लाइट और रिफ्लेक्टर अवश्य लगाएं तथा उन्हें साफ रखें जिससे दुर्घटनाएं न हों।
उप संचालक खनिज दिनेश मिश्रा ने सभी कोयला भण्डारण अनुज्ञप्तिधारियों को अपने अनुज्ञप्ति क्षेत्र के बाहर अनुज्ञप्तिधारी का नाम, स्वीकृत अनुज्ञप्ति की अवधि, अनुज्ञप्ति क्षेत्र का रकबा, खनिज की मात्रा सम्बन्धी बोर्ड अनिवार्य रूप से लगाने कहा। इससे उनकी वैधता की जानकारी सभी को हो सकेगी। उपसंचालक खनिज ने भंडारण क्षेत्र की बॉउंड्री ऊंची रखने, तौल कांटा तथा कंप्यूटर सिस्टम रखने पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि आग से सुरक्षा तथा मेडिकल किट रखना भी अनिवार्य है।
इस कार्यशाला उपस्थित सभी खनिज पट्टाधारियों तथा कोयला भंडारण अनुज्ञप्तिधारकों ने कलेक्टर को कार्यशाला के लिए धन्यवाद दिया।