रायपुर। जांजगीर-चांपा जिले के पंतोरा गांव के पास स्थित एक छोटे से जंगल में पिछले 12 दिनों से एक हाथी फंसा हुआ है। इस मामले में वन विभाग की निष्क्रियता और असफलता को लेकर रायपुर के वन्यजीव प्रेमी नितिन सिंघवी ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) को पत्र लिखकर गंभीर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा है कि यदि इस स्थिति में कोई जनहानि होती है या हाथी को कोई नुकसान पहुंचता है, तो इसके लिए पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ जिम्मेदार होंगे।

मालूम हो कि यह हाथी कोरबा से जांजगीर-चांपा के इस छोटे से जंगल में पहुंचा था, लेकिन उसे बाहर निकलने नहीं दिया जा रहा है। नितिन सिंघवी ने अपने पत्र में लिखा है कि इस छोटे से जंगल के चारों ओर कई गांव बसे हुए हैं, और हाथी हर रात जंगल से बाहर निकलने की कोशिश करता है। हालांकि, ग्रामीण हल्ला मचाकर और कभी-कभी शराब के नशे में उसे परेशान करते हैं, जिससे हाथी फिर से जंगल में लौट जाता है। विश्वस्त सूत्रों से यह भी जानकारी मिली है कि वहां के अधिकारियों ने हाथी के खिलाफ सख्ती का आदेश दिया है। इसके अलावा, एक कुमकी हाथी का उपयोग करके इस हाथी को लगातार परेशान किया जा रहा है और उसे भगाने का प्रयास किया जा रहा है।

स्थिति को संभालने के लिए, वन विभाग ने कर्नाटक से एक तथाकथित हाथी विशेषज्ञ को बुलवाया है, जो पशु और मत्स्य पालन विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर और पशु आनुवंशिकी एवं प्रजनन के विशेषज्ञ हैं। सिंघवी ने इस कदम पर सवाल उठाते हुए कहा है कि तीन दिन पहले ही उन्होंने पीसीसीएफ से अनुरोध किया था कि हाथी को शांति से दूसरे जंगल में जाने दिया जाए और इसके लिए बीएनएसएस की धारा 163 (पुरानी धारा 144) के तहत बल की सहायता ली जाए। बावजूद इसके, वन विभाग की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।

उन्होंने अपने पत्र में चेतावनी दी है कि यदि इस मामले में वन विभाग की अक्षमता और कृत्यों के कारण कोई जनहानि होती है या हाथी को चोट लगती है, तो इसके लिए पीसीसीएफ पूरी तरह से जिम्मेदार होंगे। हाथी के बिजली के झटके से या किसी अन्य कारण से मरने की भी आशंका भी जताई गई है। अंत में, नितिन सिंघवी ने हाथी को शांतिपूर्वक जंगल से बाहर जाने देने और ग्रामीणों को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक हो तो बल का उपयोग करने का अपना अनुरोध दोहराया है।

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