जिला अध्यक्ष केशरवानी और शहर जिला अध्यक्ष पांडेय हुए शामिल

बिलासपुर। दिल्ली में आयोजित कांग्रेस की एक महत्वपूर्ण बैठक में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, प्रभारी महामंत्री केसी वेणुगोपाल और छत्तीसगढ़ प्रभारी सचिन पायलट की मौजूदगी में छत्तीसगढ़ सहित देश के सात राज्यों के जिला अध्यक्षों ने संगठनात्मक मुद्दों पर गहन चर्चा की। इस बैठक में बिलासपुर जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय केशरवानी और शहर अध्यक्ष विजय पांडेय ने हिस्सा लिया और अपनी विस्तृत रिपोर्ट प्रभारी महामंत्री केसी वेणुगोपाल को सौंपी। बैठक में संगठन को मजबूत करने, जिलाध्यक्षों को अधिक अधिकार देने और पार्टी अनुशासन पर विशेष फोकस रहा।

टिकट दिलाने वाले नेता जिताएं भी: केशरवानी

जिला अध्यक्ष विजय केशरवानी ने बैठक में सुझाव दिया कि लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनावों में जो नेता अपने समर्थकों को टिकट दिलवाते हैं, उन्हें जीत की जिम्मेदारी भी लेनी चाहिए। उन्होंने कहा, “जब कोई नेता अपने कोटे से टिकट मांगता है, तो उसे उम्मीदवार को जिताने की जवाबदेही भी सुनिश्चित करनी चाहिए। यह जिम्मेदारी संगठन स्तर पर तय होनी चाहिए।” इसके साथ ही, अधिकृत उम्मीदवार के खिलाफ बागी होकर चुनाव लड़ने वालों को हटाने की जिम्मेदारी भी ऐसे नेताओं की हो। केशरवानी ने जोर देकर कहा कि बगावत करने वालों के लिए समझाइश के बाद भी सुधार न होने पर पार्टी का दरवाजा हमेशा के लिए बंद कर देना चाहिए, चाहे वह कितना भी बड़ा नेता क्यों न हो। उन्होंने कहा, “पार्टी अनुशासन से बड़ा कोई नहीं होना चाहिए।”

संगठन को मजबूत करने पर जोर

बैठक में ब्लॉक, जोन और बूथ स्तर पर संगठन को मजबूत करने की कार्ययोजना पर चर्चा हुई। मतदाता सूची तैयार करने में पार्टी के प्रति प्रतिबद्ध परिवारों और लोगों को शामिल करने पर बल दिया गया। जिलाध्यक्षों को संगठनात्मक ढांचे में अधिकार संपन्न बनाने और जमीनी हकीकत के आधार पर निर्णय लेने की भूमिका देने की मांग उठी।

नगरीय निकाय चुनाव में अनुशासनहीनता का मुद्दा

विजय केशरवानी और विजय पांडेय ने नगरीय निकाय चुनाव के दौरान और उसके बाद की अनुशासनहीनता को लेकर लिखित शिकायत दर्ज की। उन्होंने बताया कि नगर निगम चुनाव के बाद संगठन के खिलाफ अनर्गल टिप्पणियां और समानांतर बैठकें कर पार्टी को कमजोर करने की कोशिशें हुईं। इस तरह की गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए कड़े कदम उठाने की मांग की गई।

सुझाव: कड़े मापदंड और अधिकार

जिलाध्यक्षों ने सुझाव दिया कि:

  • पार्टी विरोधी गतिविधियों पर निष्कासन: पार्टी लाइन से बाहर जाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई और निष्कासन अनिवार्य हो।
  • जिलाध्यक्षों को अधिकार: ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्ति और टीम गठन का अधिकार जिलाध्यक्षों को मिले।
  • चुनाव समितियों में शामिल करें: विधानसभा, लोकसभा और अन्य चुनाव समितियों में जिलाध्यक्षों की अनिवार्य भागीदारी हो।
  • अनुशासन के लिए अधिकार: पार्टी विरोधी गतिविधियों पर नियंत्रण के लिए जिलाध्यक्षों को पर्याप्त अधिकार मिलें।
  • नियुक्तियों में जिलाध्यक्ष की भूमिका: मोर्चा, विभाग और प्रकोष्ठों में नियुक्तियों के लिए जिलाध्यक्ष की अनुशंसा जरूरी हो।
  • निष्क्रियता पर कार्रवाई: निष्क्रिय पदाधिकारियों को हटाने का अधिकार जिलाध्यक्षों को दिया जाए।

बैठक में ये रहे मौजूद

बैठक में छत्तीसगढ़ प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, सहप्रभारी विजय जांगिड़, ज़रीता लेटफ़्लांग और संपत कुमार भी शामिल हुए। यह बैठक संगठन को सुचारु रूप से चलाने और जमीनी स्तर पर कांग्रेस को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।

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