बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने बिलासपुर एयरपोर्ट के विकास कार्यों में हो रही देरी को लेकर राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने सवाल उठाया कि क्या राज्य सरकार वास्तव में बिलासपुर में एक सर्व-सुविधायुक्त एयरपोर्ट बनाना चाहती है या नहीं – अब इस पर स्थिति स्पष्ट करना होगा।
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार वर्मा की खंडपीठ ने इस पर नाराजगी जताई कि कई बार आश्वासन देने के बावजूद विकास कार्यों की गति बेहद धीमी है। कोर्ट ने यह भी कहा कि जब हाई कोर्ट स्वयं इस मामले की निगरानी कर रहा है, तब भी प्रगति न होना बेहद चिंताजनक है।
पाँच महीने बाद भी वही स्थिति बनी हुई
पिछली सुनवाई 29 नवंबर 2024 को हुई थी, जिसमें राज्य सरकार ने विकास कार्यों को समय पर पूरा करने का आश्वासन दिया था। लेकिन 7 अप्रैल की सुनवाई में याचिकाकर्ताओं ने बताया कि न तो नाइट लैंडिंग की सुविधा से जुड़ा भवन बन पाया है, न ही अन्य जरूरी कामों में कोई खास प्रगति हुई है।
नाइट लैंडिंग और सेना से ज़मीन वापसी में देरी
नाइट लैंडिंग के लिए जरूरी डीवीओआर मशीन का कुछ हिस्सा बिलासपुर पहुंच चुका है, लेकिन मशीन को स्थापित करने के लिए जो तीन कमरों का भवन बनना था, वह अब तक शुरू नहीं हुआ है। एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने भी माना कि भवन का सिविल और इलेक्ट्रिकल कार्य बाकी है, इसलिए मशीन तुरंत इंस्टॉल नहीं हो पाएगी।
इसके अलावा सेना से जमीन की वापसी की प्रक्रिया भी अधर में है। केंद्र सरकार के अधिवक्ता ने बताया कि इसके लिए जरूरी राशि राज्य सरकार ने अब तक जमा नहीं की है।
4C एयरपोर्ट की डीपीआर अब तक तैयार नहीं
राज्य सरकार ने नवंबर 2024 में 4C श्रेणी के एयरपोर्ट के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार करने का आश्वासन दिया था। लेकिन अब तक न तो रिपोर्ट तैयार हुई है और न ही इस दिशा में कोई ठोस कार्य शुरू हुआ है।
मुख्य सचिव को शपथ पत्र दाखिल करने के निर्देश
कोर्ट ने राज्य सरकार के अधिवक्ता से पूछा कि विकास कार्यों में इतनी देरी क्यों हो रही है, लेकिन संतोषजनक जवाब नहीं मिला। इसके बाद कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव को निर्देश दिए कि वह शपथ पत्र के माध्यम से नाइट लैंडिंग, सेना की ज़मीन वापसी और 4C एयरपोर्ट निर्माण से जुड़ी सभी जानकारियाँ प्रस्तुत करें।
अगली सुनवाई 7 मई को
खंडपीठ ने दो सप्ताह का समय देते हुए कहा कि बिलासपुर की जनता वर्षों से एयरपोर्ट की मांग कर रही है और कोर्ट इस प्रक्रिया की मॉनिटरिंग कर रहा है। अगली सुनवाई की तारीख 7 मई तय की गई है।