मानसून सत्र का छत्तीसगढ़ विधानसभा में दूसरा दिन

रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा का मानसून सत्र दूसरे दिन मंगलवार को गरम बहस और तीखे आरोप-प्रत्यारोप के साथ गुज़रा। सत्र के दूसरे दिन सरकार की योजनाओं, भ्रष्टाचार के आरोपों और जनहित के गंभीर मुद्दों पर पक्ष- विपक्ष ने जमकर घेराबंदी की। एक ओर जहां धरसींवा से विधायक अनुज शर्मा ने जायसवाल निको कंपनी की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए, वहीं अवैध रेत उत्खनन और जल जीवन मिशन को लेकर सदन में तीखी बहस और वॉकआउट की नौबत भी आई।

उद्योगों की मनमानी पर विधायक अनुज शर्मा के सवाल

धरसींवा के भाजपा विधायक अनुज शर्मा ने विधानसभा में उद्योग मंत्री लखनलाल देवांगन से पूछा कि क्या जायसवाल निको कंपनी के ब्लास्ट फर्नेस और पावर प्लांट में श्रम कल्याण अधिनियम, 1982 के तहत कोई निरीक्षण किया गया है? यदि हां, तो उसमें क्या अनियमितताएं सामने आईं?
मंत्री ने जवाब में कहा कि कोई गंभीर गड़बड़ी नहीं मिली। लेकिन विधायक शर्मा ने पहले के लिखित जवाब का हवाला देते हुए बताया कि कंपनी पर 71 धाराओं के उल्लंघन के प्रमाण पहले ही मिल चुके हैं। इसमें न्यूनतम वेतन, संविदा श्रमिक, उपादान भुगतान, समान पारिश्रमिक जैसे कई श्रम कानूनों के उल्लंघन शामिल थे।
उन्होंने यह भी बताया कि कंपनी का ऑक्सीजन प्लांट बेहद जर्जर हालत में है, जिससे श्रमिकों की सुरक्षा खतरे में है। इस पर मंत्री ने फिर से जांच का आश्वासन दिया।

रेत माफिया पर घेराव, 300 और खदानें खुलेंगीं

विधानसभा में रेत माफिया का मुद्दा भी जमकर गूंजा। विपक्षी कांग्रेस ने काम रोको प्रस्ताव लाकर सरकार को कटघरे में खड़ा किया।
नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने कहा, “रेत नदियों की रीढ़ है, लेकिन प्रदेश में एक भी ऐसी नदी नहीं बची जहां अवैध उत्खनन नहीं हो रहा हो। रेत माफिया खुलेआम गोलीकांड, चाकूबाजी और अधिकारियों पर हमले कर रहे हैं।”
उन्होंने बलरामपुर की घटना का हवाला देते हुए कहा कि एक पुलिस आरक्षक को ही रेत माफियाओं ने वाहन से कुचल दिया। साथ ही वन विकास निगम के अफसरों पर जानलेवा हमला किया गया।

सरकार की ओर से जवाब देते हुए कहा गया कि अवैध रेत खनन पर रोक के लिए सख्त कदम उठाए गए हैं। अब तक 6 हजार से अधिक अवैध खनन के प्रकरण दर्ज हुए हैं। साथ ही 119 रेत खदानें विधिवत पर्यावरणीय स्वीकृति के साथ संचालित की जा रही हैं और 94 खदानों की मंजूरी प्रक्रिया अंतिम चरण में है। अगले डेढ़ साल में 300 नई खदानों को स्वीकृति देने की योजना है।

रेडी टू ईट और नल-जल मिशन पर जोरदार बहस

रेडी टू ईट योजना में भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर विपक्ष ने महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े से जवाब मांगा। नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने कहा कि स्व-सहायता समूहों के चयन में भारी गड़बड़ी हुई है और कुछ अधिकारियों ने निजी लाभ के लिए अनियमितताएं की हैं। मंत्री ने आरोपों को नकारते हुए कहा कि प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी रही है।
इस जवाब से असंतुष्ट कांग्रेस के विधायकों ने सदन से वॉकआउट कर दिया।

इसी दौरान जल जीवन मिशन (नल-जल योजना) पर भी सवालों की बौछार हुई। भूपेश बघेल ने पूछा कि 3 साल में खर्च की गई 15 हजार करोड़ की राशि के बाद भी क्यों केवल 31 लाख घरों तक ही पानी पहुंच पाया? मंत्री अरुण साव ने कहा कि पिछली सरकार की देरी और आधे अधूरे कामों के कारण अब हमारी सरकार काम पूरा कर रही है।
इस पर विपक्ष ने कहा, “31 लाख घरों में सिर्फ नल कनेक्शन हुआ है, लेकिन किसी भी घर में पानी नहीं आ रहा।” शोरगुल और नारेबाजी के बीच कांग्रेस विधायकों ने दोबारा वॉकआउट कर दिया।

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