रायपुर। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेश बघेल ने केंद्रीय जांच एजेंसियों, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की शक्तियों और अधिकार क्षेत्र को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। उन्होंने शराब, कोयला और महादेव सट्टा ऐप घोटाले से संबंधित मामलों में गिरफ्तारी से बचने के लिए अग्रिम जमानत की मांग की है। यह याचिका सोमवार को जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।
बघेल ने अपनी याचिका में कहा है कि कथित घोटालों में उनका नाम शामिल करना राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित है। उन्होंने दावा किया कि ईडी और सीबीआई का उपयोग विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने के लिए किया जा रहा है। बघेल ने विशेष रूप से अपने बेटे चैतन्य बघेल की 18 जुलाई 2025 को हुई गिरफ्तारी का उल्लेख किया, जो उनके जन्मदिन के दिन हुई थी। ईडी ने चैतन्य पर 2,160 करोड़ रुपये के कथित शराब घोटाले में 1,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि को रियल एस्टेट और अन्य चैनलों के माध्यम से लॉन्ड्रिंग करने का आरोप लगाया है।
बघेल ने अपनी याचिका में यह भी तर्क दिया कि मार्च 2025 में उनके भिलाई स्थित आवास पर ईडी की छापेमारी और उनके बेटे की गिरफ्तारी के बीच कोई औपचारिक नोटिस या पूछताछ नहीं की गई, जिससे प्रक्रियात्मक निष्पक्षता पर सवाल उठते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि ये कार्रवाइयाँ उन्हें और कांग्रेस पार्टी को चुप कराने के लिए की जा रही हैं, विशेष रूप से तब जब वे राज्य विधानसभा में तमनार में अडानी समूह द्वारा अवैध पेड़ कटाई का मुद्दा उठाने की योजना बना रहे थे।
मालूम हो कि कांग्रेस पार्टी ने बघेल के समर्थन में रायपुर, जगदलपुर और अन्य जिलों में विरोध प्रदर्शन किए, जिसमें बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर जांच एजेंसियों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया गया।
बघेल ने कहा, “जो कोई भी अडानी समूह के खिलाफ आवाज उठाएगा, उसे मेरे बेटे जैसा हश्र भुगतना पड़ेगा।” उन्होंने यह भी दावा किया कि उनकी सरकार ने महादेव सट्टा ऐप के खिलाफ कार्रवाई की थी, फिर भी उन पर इसका संरक्षण करने का आरोप लगाया जा रहा है।













