आंध्रप्रदेश में बस्तर छत्तीसगढ़ के पत्रकारों के खिलाफ गांजा जब्ती का केस दर्ज कर आंध्रप्रदेश की सीमा पर की गई गिरफ्तारी का मामला तूल पकड़ता जा रहा है । कल, 20 अगस्त को, आंध्र प्रदेश की गृह मंत्री वंगालापुडी अनिता ने मामले की फिर से जांच के आदेश दिए हैं। इस मामले को लेकर कई घटनाक्रम सामने आए हैं, जिसमें विभिन्न नेताओं और संगठनों की तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली है।
गृह मंत्री ने दिए जांच के आदेश
आंध्र प्रदेश वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन (APUWJ) के नेताओं ने मंगलवार को आंध्रप्रदेश के गृह मंत्री से मुलाकात की, जहां संघ के प्रदेश अध्यक्ष आई.वी. सुब्बाराव ने छत्तीसगढ़ के पत्रकारों के खिलाफ दर्ज अवैध मामलों की जानकारी दी। उन्होंने कोंटा के उप-निरीक्षक के निलंबन को भी उनके संज्ञान में लाया और चिंतूर सीआई की भूमिका की पुष्टि की मांग की। गृह मंत्री ने तुरंत जिला एसपी से बात कर घटना की पूरी रिपोर्ट देने के आदेश जारी किए।
कांग्रेस अध्यक्ष बैज ने कहा- षड़यंत्र
20 अगस्त को जगदलपुर में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि बस्तर की खनिज संपदा को बचाने वाले पत्रकारों को साजिश के तहत फर्जी मामलों में फंसाया गया है। बैज ने राज्य सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि पत्रकारों की गिरफ्तारी के पीछे गहरा षड्यंत्र हो सकता है, जिसकी जांच की आवश्यकता है।
कवासी लखमा का आरोप
कोंटा विधायक और पूर्व मंत्री कवासी लखमा ने इस मामले पर हमला बोलते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार और आंध्रप्रदेश सरकार मिलकर अवैध रेत तस्करी कर रही हैं। उन्होंने कहा कि निर्दोष पत्रकारों को फर्जी गांजा केस में फंसाना एक सोची-समझी साजिश है, जिसमें भाजपा के नेताओं की भूमिका संदिग्ध है।
पत्रकारों ने की सीबीआई जांच की मांग
इस मामले में प्रदेशभर के पत्रकारों में आक्रोश है। CBI जांच और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग जोर पकड़ रही है। कोंटा, बस्तर में पत्रकारों ने जोरदार प्रदर्शन किया, जिसमें छत्तीसगढ़, ओडिशा, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के 200 से ज्यादा पत्रकार शामिल हुए थे।
संदिग्ध टीआई पर कार्रवाई
इससे पहले, कोंटा के टीआई अजय सोनकर को चार पत्रकारों के खिलाफ साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था। उसके निलंबन के साथ-साथ सोशल मीडिया पर वायरल हुआ एक संदिग्ध मैसेज भी चर्चा में रहा, जिसमें ‘नेता जी को बता देना’ का उल्लेख था। इस मामले में अभी भी कई खुलासे बाकी हैं।