बिलासपुर। शादी के छह वर्षों बाद पति द्वारा धर्म परिवर्तन के दबाव से परेशान होकर शिक्षिका पत्नी अपने मायके लौट आई। इसके बावजूद, पति ने ससुराल पहुँचकर महिला की बेल्ट से पिटाई की और घर में स्थापित देवी-देवताओं की मूर्तियाँ एवं तस्वीरें अपमानपूर्वक फेंक दीं। पीड़िता ने सिविल लाइन थाने में शिकायत दर्ज कराई, जिसके आधार पर पुलिस ने छत्तीसगढ़ धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम 1968 के तहत मामला पंजीकृत कर जांच प्रारंभ कर दी है।

बच्चों पर भी डाला दबाव 

सिविल लाइन क्षेत्र की निवासी पीड़िता, जो एक शासकीय विद्यालय में शिक्षिका हैं, ने बताया कि वर्ष 2016 में उसकी शादी कवर्धा निवासी दुर्गेश लांझी से हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार हुई थी। शादी के कुछ समय बाद ही उसे ज्ञात हुआ कि उसके पति का झुकाव ईसाई धर्म की ओर बढ़ रहा है। प्रारंभ में यह महज व्यक्तिगत आस्था तक सीमित था, किंतु धीरे-धीरे उसने पत्नी को भी ईसाई धर्म अपनाने का दबाव डालना शुरू कर दिया।

समय बीतने के साथ, पति ने अपने बच्चों को भी ईसाई धर्म की शिक्षा देनी प्रारंभ की, जिससे शिक्षिका अत्यधिक चिंतित हो गई। जब धर्म परिवर्तन का दबाव असहनीय हो गया, तब वह मायके आ गई। इस बीच, उसका पति बिलासपुर आकर बार-बार उस पर मतांतरण के लिए जोर डालता रहा। जब उसने विरोध किया, तो आरोपी ने उसके साथ मारपीट की। सोमवार को भी वह बिलासपुर आया और पुनः हिंसा की। पुलिस ने मामले में संज्ञान लेते हुए छत्तीसगढ़ धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम के तहत कार्रवाई प्रारंभ कर दी है।

हिंदू धर्म को बताया शैतान की पूजा

आरोपी दुर्गेश लांझी पहले हिंदू धर्म को मानता था, किंतु विवाह के कुछ वर्षों बाद उसने ईसाई धर्म की ओर रुझान बढ़ा लिया। उसने अपने बच्चों को भी इस मत में परिवर्तित करने का प्रयास किया। पीड़िता का आरोप है कि उसका पति हिंदू देवी-देवताओं की पूजा को शैतान की आराधना कहकर उसका अपमान करता था।

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