पायलट ने कहा-दिल्ली के रिमोट से कंट्रोल हो रही छत्तीसगढ़ सरकार
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में बुधवार को कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने राज्य विधानसभा के घेराव का प्रयास किया। यह विरोध प्रदर्शन राज्य की बिगड़ती कानून व्यवस्था और हाल ही में बलौदाबाजार में हुई हिंसा जैसे मुद्दों को लेकर किया गया था। भारी संख्या में जुटे कांग्रेस कार्यकर्ताओं को सुरक्षा बलों ने बीच रास्ते में ही रोक दिया।
विरोध प्रदर्शन और झड़पें:
इस विरोध प्रदर्शन के दौरान कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच झड़प हुई, जिसमें कई कांग्रेस नेताओं को चोटें आईं। रायपुर के मेयर एजाज़ ढेबर ने भी एक बैरिकेड को पार करते हुए पुलिस के साथ झड़प की। उन्हें मामूली चोटें आईं और बाद में उन्हें चिकित्सा सहायता दी गई। भारी बारिश के कारण विरोध प्रदर्शन आगे नहीं बढ़ सका और कार्यकर्ता अनुमानित संख्या में प्रदर्शन स्थल तक नहीं पहुंच पाए।
कांग्रेस का सबसे बड़ा प्रदर्शन:
यह घटना कांग्रेस के लिए विपक्ष में बैठने के बाद का सबसे बड़ा प्रदर्शन माना जा रहा है। इस प्रदर्शन का उद्देश्य कांग्रेस की ताकत दिखाना और राज्य में बिगड़ती कानून व्यवस्था, बलौदाबाजार में हुई हालिया हिंसा, आदिवासियों और किसानों के खिलाफ अन्याय जैसे प्रमुख मुद्दों को उजागर करना था।
सो रही सरकार को जगाने आए-पायलट
विधानसभा घेराव से पहले कांग्रेस नेताओं ने विरोध स्थल पर एक बैठक की। इस दौरान राज्य प्रभारी सचिन पायलट भी मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की सरकार दिल्ली से रिमोट कंट्रोल से चल रही है। पायलट ने कहा, “जब सरकार सो रही है, हम उसे जगाने आए हैं।” पायलट ने यह भी नोट किया कि आमतौर पर ऐसी घटनाएं सरकार के दो से तीन साल बाद होती हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ में नए प्रशासन के मात्र छह महीनों में ही गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो गई हैं।
सदन में लड़ेंगे और बाहर भी- बैज
राज्य कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने बिगड़ती कानून व्यवस्था को लेकर संघर्ष की बात कही। उन्होंने जोर देकर कहा कि उनकी लड़ाई विधानसभा के अंदर और बाहर दोनों जगह जारी रहेगी, क्योंकि जनता छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार की प्रभावशीलता को लेकर अनिश्चित है। “हम सदन के भीतर लड़ेंगे, और हम सड़कों पर लड़ेंगे,” बैज ने कहा।
छत्तीसगढ़ की शांति बर्बाद- बघेल
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने वर्तमान प्रशासन की आलोचना करते हुए कहा कि उनके पांच साल के कार्यकाल में जो शांति थी, वह मात्र छह महीनों में नए सरकार के अधीन बर्बाद हो गई है। उन्होंने सवाल उठाया कि ऐसे समय में कलेक्टरेट में आग लगने और नक्सलवाद के नाम पर आदिवासियों की हत्या जैसे घटनाएं क्यों हो रही हैं। बघेल ने बीजेपी की पुलिस कार्य में कथित हस्तक्षेप की निंदा की और बलौदाबाजार हिंसा को छत्तीसगढ़ के इतिहास का एक काला अध्याय बताया।
कांग्रेस का यह विरोध प्रदर्शन राज्य की कानून व्यवस्था पर ध्यान केंद्रित करने और प्रशासन को चेतावनी देने के लिए आयोजित किया गया था। इस आंदोलन ने छत्तीसगढ़ में राजनीतिक माहौल को गर्म कर दिया है।