बिलासपुर। तोरवा पुलिस ने एक चौंकाने वाले मामले का पर्दाफाश किया, जिसमें एक व्यक्ति ने स्वयं के अपहरण की साजिश रचकर अपने साथियों के साथ मिलकर पुलिस और परिजनों को गुमराह करने की कोशिश की। पुलिस ने तकनीकी सहायता और साइबर यूनिट की मदद से इस षड्यंत्र का खुलासा कर आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया है।
थाना तोरवा में 10 अगस्त 2024 को राजकुमार पटेल ने रिपोर्ट दर्ज कराई कि उसके चाचा, निर्मल पटेल, जो जिंदल फैक्टरी, रायगढ़ में कार्यरत हैं, ने 9 अगस्त की रात करीब 8 बजे फोन पर बताया कि वह बिलासपुर में एक लड़की से मिलने आए थे। इस दौरान, बिलासपुर रेलवे स्टेशन के बाहर कुछ लोगों ने उन्हें पकड़ लिया और 50,000 रुपये की मांग कर रहे हैं। निर्मल ने यह भी कहा कि वह एक गंभीर संकट में हैं और तुरंत मदद की जरूरत है। एक या दो बार और बात होने के बाद निर्मल का फोन अचानक बंद हो गया, जिससे परिवार वालों में भय और चिंता फैल गई।
प्रार्थी की रिपोर्ट पर पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए धारा 140(3), 3(5) BNS के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू की। पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह के मार्गदर्शन में, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक उमेश कश्यप और नगर पुलिस अधीक्षक पूजा कुमार के पर्यवेक्षण में, एंटी क्राइम एंड साइबर यूनिट की सहायता से तकनीकी जांच के बाद निर्मल पटेल को बरामद किया गया।
पूछताछ के दौरान, निर्मल ने खुलासा किया कि उसने अपने साथियों, राजेश बाघ और अजय चौहान के साथ मिलकर स्वयं के अपहरण की साजिश रची थी। मनोवैज्ञानिक दबाव के तहत, निर्मल ने स्वीकार किया कि यह पूरी घटना एक योजनाबद्ध षड्यंत्र थी ताकि वह पैसे की उगाही कर सके। पुलिस ने तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर भारतीय दंड संहिता की धारा 61 के तहत मामला दर्ज किया और उन्हें न्यायालय में पेश किया।
मामले की जांच जारी है और पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इस षड्यंत्र में और कौन-कौन शामिल हो सकते हैं। आरोपियों को रिमांड पर भेज दिया गया है।