बिलासपुर। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के बिलासपुर–झारसुगुड़ा सेक्शन में रायगढ़ स्टेशन के पास स्थित 110 साल पुराने केलो ब्रिज (ब्रिज नंबर 121) पर पुराने स्टील गर्डर को बदलने का कार्य तेजी से चल रहा है। इस महत्वपूर्ण तकनीकी काम को पूरा करने के लिए 22 से 23 अप्रैल तक कुल 40 घंटे का ट्रैफिक और पावर ब्लॉक रखा गया है।
कैसे हो रहा है यह काम?
ब्रिज बदलने जैसा काम बेहद जटिल होता है, जिसमें उच्च तकनीकी जानकारी, सावधानी और आधुनिक संसाधनों की ज़रूरत होती है। इस कार्य के लिए चार भारी क्षमता वाली (140 टन) क्रेन लगाई गई हैं। इसके साथ ही रेलवे के इंजीनियर, अधिकारी, कर्मचारी और मज़दूर 24 घंटे मेहनत कर रहे हैं। इस काम को कोतरलिया स्टेशन पर चल रहे नॉन-इंटरलॉकिंग कार्य के साथ समन्वय बनाकर किया जा रहा है, जहां 500 से ज़्यादा रेलवे कर्मचारी दिन-रात इस बदलाव को सफल बनाने में जुटे हैं।
काम पूरा होने के बाद क्या होंगे फायदे?
- ब्रिज पर लगी 45 किलोमीटर प्रति घंटे की स्थायी गति सीमा हटाई जाएगी।
- ट्रेन संचालन में रफ्तार, समयबद्धता और सुरक्षा में सुधार होगा।
- यात्री सुविधाएं और रेलवे की क्षमता बढ़ेगी।