बिलासपुर। नगरपालिका बेमेतरा में तृतीय वर्ग कर्मचारी योगेंद्र साहू ने अपने तबादला आदेश को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। अधिवक्ता संदीप दुबे के माध्यम से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस पी.पी. साहू की सिंगल बेंच ने तबादला आदेश पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यदि सेवा की तत्काल अनिवार्यता नहीं है, तो स्थानांतरण आदेश जारी करने से पहले राज्य शासन के अधिकारियों को मानवीय पहलुओं पर ध्यान देना चाहिए।
याचिकाकर्ता योगेंद्र साहू, जो सहायक ग्रेड-3 के पद पर कार्यरत हैं, का स्थानांतरण 12 सितंबर 2023 को नगर पालिका परिषद बेमेतरा से नगर पालिका परिषद कुम्हारी कर दिया गया था। परंतु, यह आदेश उन्हें 21 अगस्त 2024 को तामील कराया गया, जब पहले से मौजूद कर्मचारी ने अपनी ज्वाइनिंग कर ली थी।
याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि उनकी तीन बेटियां हैं, जिनमें से एक कॉलेज में, दूसरी 10वीं कक्षा में और तीसरी चौथी कक्षा में पढ़ रही हैं। इस बीच सत्र में स्थानांतरण से उनकी बेटियों की पढ़ाई पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि नए स्कूल या कॉलेज में दाखिला लेना अब संभव नहीं है। उन्होंने तबादला आदेश को रद्द करने की मांग की।
राज्य शासन की ओर से महाधिवक्ता कार्यालय के विधि अधिकारी ने कहा कि स्थानांतरण आदेश प्रशासनिक आवश्यकता के आधार पर लगभग एक साल पहले जारी किया गया था। नगर पालिका बेमेतरा के सीएमओ ने कोर्ट में हलफनामा पेश कर बताया कि रिलीविंग आदेश तब जारी हुआ जब नए कर्मचारी ने ज्वाइन कर लिया था।
कोर्ट ने कहा कि राज्य शासन के अधिकारी यह साबित करने में विफल रहे कि तबादला तत्काल क्यों आवश्यक था। जस्टिस साहू ने अपने फैसले में लिखा कि यदि सेवा की अनिवार्यता तत्काल नहीं है, तो तबादला आदेश के पहले कर्मचारियों के बच्चों की पढ़ाई जैसे मानवीय पहलुओं पर ध्यान देना चाहिए। कोर्ट ने स्थानांतरण आदेश को रद्द कर दिया और आदेश दिया कि याचिकाकर्ता को वर्तमान शैक्षणिक वर्ष के अंत तक स्थानांतरित न किया जाए।