मुख्यमंत्री ने कहा- Kolkata High-court order वोट बैंक की राजनीति करने वालों के मुंह पर तमाचा

रायपुर। राहुल गांधी के मीडिया को Blackmailer और बिकाऊ कहे जाने पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कड़ा ऐतराज जताते हुए देश भर के मीडिया संस्थानों से यह पूछा है कि क्या वे कांग्रेस के ‘युवराज’ के इस बयान से सहमत हैं?

साय ने अपने सोशल मीडिया हैंडल X में लिखा है कि – कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भारतीय मीडिया को ब्लैकमेलर और बिकाऊ कहा है। मैं भारतीय मीडिया संस्थानों से यह पूछता चाहता हूं कि क्या वे राहुल जी के इस घोर आपत्तिजनक बयान से सहमत हैं? इसके अलावा गांधी ने छत्तीसगढ़ का उदाहरण देकर प्रदेश और यहां के मीडिया को विशेष तौर पर अपमानित किया है। यह निंदनीय है। उन्होंने बिना किसी तथ्य के छत्तीसगढ़ सरकार पर मीडिया को एक हजार करोड़ रुपए देने की बात कही है। हम इसकी भी निंदा करते हैं। राहुल का यह बयान बेहद आपत्तिजनक और लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर प्रहार है। यह आपातकाल वाली मानसिकता है। साय ने लिखा है कि मैं
सभी मीडिया संस्थानों को राहुल के इस बयान के विरुद्ध संज्ञान लेने की अपील करता हूं।

“ मुसलमानों में देखा वोट बैंक”

वहीं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल में कई वर्गों के ओबीसी दर्जे को खत्म करने के कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले की सराहना की और इसे “धर्म-आधारित” कोटा के माध्यम से तुष्टीकरण की राजनीति करने वालों के मुंह पर तमाचा बताया। बुधवार को उच्च न्यायालय ने बंगाल में कई वर्गों के ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) दर्जे को खत्म कर दिया और राज्य में सेवाओं और पदों में रिक्तियों के लिए 2012 के अधिनियम के तहत इस तरह के आरक्षण को अवैध पाया है।
साय ने कहा कि पिछड़ी श्रेणियों की सूची में मुसलमानों की 77 श्रेणियों को शामिल करना “उन्हें वोट बैंक के रूप में देखना” है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने कहा है कि वह इस आदेश को स्वीकार नहीं करेंगी और संकेत दिया कि उनकी सरकार इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकती है।
बनर्जी के बयान के बारे में पूछे जाने पर साय ने कहा, “हम धर्म आधारित आरक्षण पर कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हैं। यह उन लोगों के मुंह पर तमाचा है जो धर्म आधारित आरक्षण देकर वोट बैंक और तुष्टिकरण की राजनीति करते हैं।”
उन्होंने कहा, “हम सभी जानते हैं कि संविधान में धर्म आधारित आरक्षण का कोई स्थान नहीं है। बुधवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल में 2010 के बाद जारी सभी धर्म आधारित ओबीसी प्रमाण-पत्रों को रद्द कर दिया। यह देश के ओबीसी, आदिवासियों और सभी पिछड़े समुदायों के लिए एक बड़ा फैसला है।”
उन्होंने कहा कि यह फैसला दिखाता है कि ममता बनर्जी की सरकार किस तरह “असंवैधानिक तरीके से तुष्टीकरण की नीति” को आगे बढ़ा रही है। “इंडिया गठबंधन लगातार आदिवासियों और पिछड़े वर्गों के अधिकारों को लूट रहा है और सिर्फ अपनी वोट बैंक की राजनीति के कारण उनके अधिकारों को छीनकर मुसलमानों को सौंपना चाहता है। यह बेहद निंदनीय है।” उन्होंने कहा कि न तो भाजपा और न ही पिछड़े, आदिवासी और दलित कांग्रेस और उसके गठबंधन की तुष्टीकरण की राजनीति को बर्दाश्त करेंगे। उन्होंने कहा, “इससे भी गंभीर बात यह है कि पश्चिम बंगाल की सीएम ने कहा है कि वह इस फैसले को स्वीकार नहीं करेंगी और इसे लागू नहीं करेंगी। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।”

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