बिलासपुर। मध्यप्रदेश में कूनो के बाद अब गांधी सागर अभयारण्य में चीते की अगली खेप लाने की पहल हो रही है। छत्तीसगढ़ भी इसके लिए उपयुक्त है लेकिन इसकी राजनीतिक स्तर पर पहल नहीं हो रही है।
वन्यजीव प्रेमी व मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के वाइल्ड लाइफ बोर्ड के कई वर्षों तक सदस्य रह चुके प्राण चड्ढा ने राज्य सरकार से मांग की है कि छत्तीसगढ़ में चीता प्रोजेक्ट लाने की गंभीरता से कोशिश करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि कूनो नेशनल पार्क के बाद अब मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले के गांधीसागर अभ्यारण का चीता पुनर्स्थापना योजना के अंतर्गत केन्या के डेलिगेशन ने भ्रमण किया। भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना के तहत इस अभ्यारण में चीता प्रोजेक्ट स्थापित किया जा रहा है। दूसरी ओर भारत में आजादी के बाद तक छतीसगढ़ के कोरिया के जंगलों में एशियाटिक चीते मिलते थे। कोरिया महाराज के शिकार के दौरान देश के तीनों अंतिम चीते गोलियों से मारे गए थे। इसके साथ ही चीते देश में खत्म हो गए। इसलिए देश में कूनो से पहले छत्तीसगढ़ का हक चीता प्रोजेक्ट पर बनता था। लेकिन टाइगर स्टेट मध्य प्रदेश में राजनीतिक वर्चस्व की वजह से चीते भी ला दिए गए। इस वक्त कूनो में चीतों की कुल संख्या 21 है। अब चीतों की दूसरी खेप मंदसौर लाने की योजना पर अमल शुरू हो चुका है। पहली खेप कूनो में लाने के बाद अब यह मौका छत्तीसगढ़ को मिलना चाहिए।
चड्ढा ने कहा कि चीतों के लिए लंबे मैदानी जंगल की जरूरत होती है। ये छिपकर या घात लगाकर नहीं, दौड़कर और पीछा करके शिकार को दबोचते हैं। इसलिए छतीसगढ़ के वन विभाग को चीतों के लिए उचित जंगल देख केंद्र को यहां चीते लाने के लिए दम खम से प्रस्ताव भेजना चाहिए। यह इस राज्य का हक है। इसके लिए जनप्रतिनिधियों को भी सामने आना होगा। हक मांगेंगे नहीं तो छतीसगढ़ को मिलेगा नहीं।