बिलासपुर। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पद पर अधिक अंक वाली सरस्वती मरावी ने अपने से कम अंक वाली अभ्यर्थी रानू बिंझवार की नियुक्ति को चुनौती दी थी। कलेक्टर कोरबा के आदेश के बाद कमिश्नर कोर्ट में पुनरीक्षण अपील कर रानू ने जीत हासिल की थी। परंतु, हाई कोर्ट ने अब कमिश्नर के आदेश पर रोक लगाते हुए सरस्वती मरावी के पक्ष में नियुक्ति आदेश जारी करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने सचिव महिला एवं बाल विकास विभाग और कमिश्नर बिलासपुर संभाग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
नियुक्ति विवाद का विवरण
महिला एवं बाल विकास विभाग ने कोरबा जिले के पोडी उपरोड़ा तहसील के ग्राम पंचायत सुतरा में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की नियुक्ति के लिए आवेदन आमंत्रित किए थे। सरस्वती मरावी ने अपनी 10वीं और 12वीं की अंकसूची, निवास प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, मतदाता परिचय पत्र, और राशन कार्ड के साथ आवेदन किया था। सरस्वती को 56.92 प्रतिशत अंक मिले थे, जबकि रानू बिंझवार को 40.72 प्रतिशत अंक मिले थे। बावजूद इसके, रानू को नियुक्ति दे दी गई। सरस्वती ने इस नियुक्ति को चुनौती देते हुए कलेक्टर कोरबा के समक्ष अपील की, जिसे स्वीकार करते हुए कलेक्टर ने सरस्वती के पक्ष में नियुक्ति का आदेश दिया।
न्यायिक प्रक्रिया और कोर्ट का आदेश
कलेक्टर के आदेश के खिलाफ रानू ने कमिश्नर कोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दायर की, जिसमें कमिश्नर ने कलेक्टर के आदेश को निरस्त करते हुए रानू की नियुक्ति का आदेश दिया। इसके बाद, सरस्वती ने हाई कोर्ट में अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी और नरेंद्र मेहेर के माध्यम से याचिका दायर की। जस्टिस सचिन सिंह राजपूत की सिंगल बेंच में मामले की सुनवाई हुई, जिसमें याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि अधिक अंक वाली और योग्य अभ्यर्थी को प्राथमिकता मिलनी चाहिए। कोर्ट ने इस तर्क को मानते हुए कमिश्नर के आदेश पर रोक लगाई और सरस्वती के पक्ष में नियुक्ति आदेश जारी करने का निर्देश दिया।